औरंगाबाद: औरंगाबाद जिले के लाल इलाके की दर्जनों महिलाएं अब स्वरोजगार के माध्यम से आत्मनिर्भर बन रही हैं. इन महिलाओं को न केवल रोजगार मिला है, बल्कि उन्होंने गांव के अन्य लोगों को भी रोजगार के अवसर प्रदान कर आत्मनिर्भरता की ओर कदम बढ़ाया है. औरंगाबाद जिले के कुटुंबा प्रखंड के सैदपुर नौगढा गांव के लोग कपड़ा बुनने का काम करते हैं. यहां 25 से अधिक महिला बुनकर खादी का कपड़ा बुनने का कार्य कर रही हैं. समर्पण खादी ग्रामोद्योग संस्थान की पहल पर इन महिलाओं ने न केवल अपनी आय बढ़ाई, बल्कि इस प्रक्रिया में अन्य लोगों को भी रोजगार प्रदान किया.
इस गांव के बुनकर रुस्तम अंसारी ने बताया कि यहां पिछले 25 वर्षों से सूत काटने का काम किया जा रहा है. बुनकरों द्वारा खादी के पैंट, शर्ट, लूंगी और कुर्ते जैसे कपड़े तैयार किए जाते हैं. उन्होंने बताया कि यहां हर रोज़ 12 कारघा से 20 थान कपड़ा तैयार किया जाता है. इसके लिए संस्थान द्वारा सभी बुनकरों को सूत काटने के लिए आधुनिक मशीनें उपलब्ध कराई गई हैं.
पढ़ाई के साथ-साथ रोजगार भी
सूत काटने वाली महिला बुनकर सजदा प्रवीण ने बताया कि पढ़ाई के साथ-साथ घर बैठे नौकरी का यह अवसर दर्जनों लड़कियों और महिलाओं की जिंदगी बदल चुका है. सजदा ने बताया कि पढ़ाई के अलावा वे अपनी ज़िंदगी के कुछ घंटे सूत बनाने में व्यतीत करती हैं. मशीन से सूत तैयार करने के बाद उसे कपड़े में बदला जाता है. सजदा प्रवीण ने बताया कि यहां की लड़कियों और महिलाओं को एक महीने तक प्रशिक्षण दिया गया और उसके बाद उन्हें मशीनें सौंपी गईं.
अब वे घर के कामकाज के साथ-साथ इस काम को करके अपनी कमाई भी करती हैं. सजदा ने बताया कि सूत बनाने पर प्रति किलो 240 रुपए का मेहनताना मिलता है, और जितना सूत तैयार किया जाता है, उतनी ही कमाई होती है.
पटना और झारखंड तक पहुंचा औरंगाबाद का खादी
समर्पण खादी ग्रामोद्योग संस्थान के सचिव शत्रुघ्न कुमार सिंह ने बताया कि यह कार्य बिहार राज्य खादी ग्रामोद्योग बोर्ड पटना के तहत चलाया जाता है. उन्होंने बताया कि सैदपुर नौगढा के बुनकर वर्षों से यह काम कर रहे थे, लेकिन उन्हें इसके उचित दाम नहीं मिलते थे. इसके बाद संस्थान ने आधुनिक मशीनें उपलब्ध कराकर बुनकरों के काम को बेहतर बनाया. उन्होंने बताया कि सैदपुर नौगढा में तैयार खादी के कपड़े को वॉश के लिए बनारस भेजा जाता है, फिर उसे पटना के खादी ग्रामोद्योग मॉल और झारखंड खादी बोर्ड में सप्लाई किया जाता है.
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FIRST PUBLISHED : November 11, 2024, 14:54 IST