पूर्णिया : सनातन धर्म में शास्त्रीय और वार्षिक पर्व की शुरुआत हिंदी के अगहन महीने के शुक्ल पक्ष से की जाती है. इसकी भी अपनी अलग धार्मिक मान्यता है. ऐसे में लोग अपने आस्था विश्वास व श्रद्धा के साथ रविवार का व्रत हो या गुरु का व्रत या मंगलवारी इन सभी वार्षिक और शास्त्रीय पर्व की शुरुआत इसी महीने के शुक्ल पक्ष से करते हैं.
चलिए पूरी बात बताते हैं दरअसल पूर्णिया के पंडित मनोत्पल झा ने लोकल 18 से बताया कि सनातन धर्म में अगहन के महीने के शुक्ल पक्ष से वार्षिक शास्त्रीय पर्व की शुरुआत होती है. हालांकि उन्होंने कहा कि सबसे पहले सनातन धर्म की बात करें तो इस धर्म में सभी दिन पर्व होता है चाहे वह कैलेंडर की बात करें या पंचांग की बात करें हर जगह पर मिलेगा. उन्होंने कहा की चाहे वह शुक्लपक्ष हो या कृष्णपक्ष जो की हर महीने में होता है. लेकिन मनोकामना की व्रत आपको अगहन शुक्ल पक्ष से शुरू होता है.
पंडित मनोत्पल झा ने कहा कि कई लोग एकादशी व्रत करना चाहते तो कई लोग त्रयोदशी का व्रत करना चाहते हैं कोई पूर्णिमा और कुछ संक्रांति की पूजा करते हैं. इसके साथ-साथ हमारे सनातन धर्म में सोमवार से लेकर रविवार तक अन्य सभी दिन का बहुत महत्व है. सभी दिन किसी न किसी देवता से जुड़ा हुए हैं. सोमवार महादेव से जुड़ा हुआ. रविवार सूर्य से जुड़ा हुआ है. मंगलवार बजरंगबली से जुड़ा हुआ है.
सनातन धर्म में हर दिन रहता व्रत
पंडित मनोत्पल झा ने कहा कि इसके लिए सबसे पहले देखा जाता है कि जब देवता धरती पर आए तो उसके आगमन का पूजा हो जाता है और फिर जब पूर्णिमा होती है तब अगहन का कृष्ण पक्ष प्रारंभ हो जाता है अगर आप शुभ काम का प्रारंभ करते हैं तो शुक्ल पक्ष में कीजिए. इस अगले 15 दिन शुक्ल पक्ष से कोई भी पूजा पाठ प्रारंभ का कर सकते हैं. सोमवारी का व्रत, मंगलवारी का व्रत, शुक्रवारी उठाना, गुरुवार का व्रत करना है या कोई भी पूजा प्रारंभ करना है.
FIRST PUBLISHED : November 11, 2024, 22:28 IST