मधुबनी. मिथिला की अपने समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के साथ मखाना की खेती के लिए प्रसिद्ध है. खासकर मधुबनी जिले से पूरे बिहार, देश के अन्य राज्यों में और विदेशों में भी सप्लाई किया जाता है. अपनी ज्यादा डिमांड के कारण किसान इसके उपज के तरीकों को लेकर चिंतित रहते हैं. आज हम मखाना की ज्यादा और जल्दी उपज दिलाने वाली खेती के बारे में जानेंगे.
खेतों में ज्यादा पैदावार
लोकल 18 से बातचीत करते हुए सालों से मखाना खेती करने वाले गुरुणंद सहनी बताते हैं कि मखाना की अधिक पैदावार तालाब से ज्यादा खेतों में होती है. पहले मधुबनी में मखाना की खेती तालाबों में की जाती थी लेकिन अब यह खेतों में ज्यादा होती है. खेतों में इसे उपजाने के कई फायदे हैं. सबसे प्रमुख कारण यह है कि खेतों में पानी की मात्रा कम होने से धूप की उपलब्धता ज्यादा होती है. अधिक धूप होने से मखाना की पैदावार तालाब की अपेक्षा 25 से 30 दिन पहले ही तैयार हो जाती है.
कम समय में अधिक मुनाफा
गुरुणंद सहनी बताते हैं कि तालाब में अधिक पानी होने के कारण मखाना की खेती थोड़ी देर से होती है. हालांकि, तालाब में उगाई गई मखाना का दाना बड़ा और भारी होता है, जिसकी बाजार में ज्यादा कीमत होती है. इसके विपरीत, खेतों में उगाई गई मखाना का दाना थोड़ा छोटा होता है लेकिन जल्दी तैयार हो जाता है. इससे किसान कम समय में अधिक मुनाफा कमा सकते हैं.
जलवायु परिवर्तन भी प्रमुख कारण
खेती के इस बदलाव का प्रमुख कारण जलवायु परिवर्तन भी है. तालाबों का जल स्तर गिर रहा है और पानी की कमी हो रही है. ऐसे में खेतों में मखाना की खेती करना एक व्यवहारिक विकल्प बन गया है. साथ ही, खेतों में खेती करना किसानों को अधिक नियंत्रण देता है. वे आसानी से जल प्रबंधन कर सकते हैं और कीटनाशकों का सही उपयोग कर सकते है. इस प्रकार, तालाबों की बजाय खेतों में मखाना की खेती करने से न केवल अधिक और जल्दी उपज मिलती है बल्कि किसानों को भी अधिक मुनाफा होता है. मिथिला के किसानों ने इस बदलाव को अपनाकर मखाना की खेती को नई ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया है.
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FIRST PUBLISHED : November 14, 2024, 11:08 IST