जमुई. जनजातीय स्वतंत्रता सेनानी बिरसा मुंडा का जन्म भले ही झारखंड राज्य के खूंटी जिले में हुआ हो, लेकिन, धरती आबा बिरसा मुंडा के जयंती की 150 साल पूरे होने पर खूंटी जिले के उलिहातु गांव से ज्यादा जमुई जिले का बल्लोपुर गांव बिरसा मुंडा को लेकर चर्चा में है. चर्चा हो भी क्यों ना, जब देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी धरती आबा बिरसा मुंडा की जयंती समारोह में भाग लेने खुद यहां आ रहे हो और हजारों करोड़ की योजनाओं की सौगात देने वाले हो, तो इस जिले का चर्चा में आना तो बनता भी है. प्रधानमंत्री जमुई से कई योजनाओं की सौगात देंगे.
जिसमें बुनियादी ढांचे, स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा और आजीविका सृजन से जुड़ी 6640 करोड रुपए के विकास योजनाओं का शिलान्यास और उद्घाटन करेंगे. इसके साथ ही 53 मोबाइल मेडिकल यूनिट, 10 एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय, 300 वन धन विकास केंद्र, दो जनजातीय स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय, 500 किलोमीटर नई सड़क, 100 बहुउद्देशीय केंद्र एमपीसी, 304 छात्रावास सहित कई अलग-अलग योजनाओं का शिलान्यास और उद्घाटन करेंगे. लेकिन, इस दौरान बिरसा मुंडा की जयंती को लेकर पीएम एक बेहद खास काम भी करने वाले हैं.
150 रूपए के चांदी सिक्के किए जाएंगे जारी
जमुई जिले के बल्लोपुर से पीएम धरती आबा बिरसा मुंडा के 150 वीं जयंती समारोह में बेहद खास काम करने वाले हैं. पीएम इस दौरान 150 रुपए के चांदी के सिक्के को जारी करेंगे, जो जनजातियों के भगवान कहे जाने वाले बिरसा मुंडा के शौर्य और बलिदान की स्मृति को सहेजेगा. प्रधानमंत्री 40 ग्राम शुद्ध चांदी के सिक्के जारी करेंगे. जिस पर बिरसा मुंडा की प्रचलित चित्र बनी होगी. भारत सरकार के द्वारा मुंबई के टकसाल में इस सिक्के को तैयार करवाया गया है. इस सिक्के का कुल वजन 40 ग्राम और परिधि 44 मिलीमीटर की है. सिक्के पर बिरसा मुंडा की तस्वीर के चारों तरफ भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती भी लिखा गया है. हालांकि इस सिक्के को केवल स्मृति के रूप में लॉन्च किया जा रहा है तथा इसे बाजार में नहीं उतारा जाएगा और ना ही आप इसका इस्तेमाल कर सकेंगे. इसके साथ ही प्रधानमंत्री बिरसा मुंडा की स्मृति में डाक टिकट का भी अनावरण करेंगे.
धरती आबा कहे जाते हैं भगवान बिरसा मुंडा
झारखंड के खूंटी जिले के उलिहातु में 15 नवंबर 1875 को बिरसा मुंडा का जन्म हुआ था. बचपन से ही बिरसा मुंडा क्रांतिकारी रहे और उन्होंने पहले रोमन कैथोलिक के खिलाफ धार्मिक आंदोलन की शुरुआत की. बाद में अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ उन्होंने आंदोलन छेड़ दिया. 1895 में उन्हें पहली बार गिरफ्तार किया गया था तथा महज 24 साल की उम्र में वर्ष 1900 में जेल में ही उनकी मौत हो गई थी. बिरसा मुंडा के शौर्य और क्रांतिकारी अंदाज के कारण उन्हें आदिवासी समाज के लोग भगवान मानते हैं और आज भी उनके शौर्य को याद किया जाता है. प्रधानमंत्री बल्लोपुर से इस शौर्य को सहेजने के लिए चांदी के सिक्के को जारी करने वाले हैं.
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FIRST PUBLISHED : November 14, 2024, 22:38 IST