मो. सरफराज आलम/ सहरसा: जिले के कोसी क्षेत्र का प्रसिद्ध पर्यटक स्थल मत्स्यगंधा झील प्रशासनिक उपेक्षा और अव्यवस्था के चलते बदहाल स्थिति में पहुंच गया है. कभी बिहार के प्रमुख झीलों में शुमार यह स्थान, आज अपनी पहचान खोता जा रहा है. जहां पहले सैकड़ों पर्यटक झील की सुंदरता और बोटिंग का आनंद लेने आते थे, वहीं अब इस जगह पर केवल निराशा हाथ लगती है.
पर्यटकों की नाराजगी: अब घूमने लायक नहीं रहा झील
पर्यटक सागर कुमार ने लोकल 18 से बातचीत में अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा, हमने काफी उम्मीद के साथ यहां पिकनिक मनाने और मौज-मस्ती के लिए झील का रुख किया था. लेकिन यहां आने पर देखा कि झील पूरी तरह बदहाल है. न तो बोटिंग की सुविधा है और न ही झील की सफाई. यहां उगी खरपतवार और अव्यवस्था ने इस जगह को घूमने लायक भी नहीं छोड़ा है.
स्थानीय लोग भी कर रहे हैं झील के पुनर्विकास की मांग
झील की दुर्दशा पर स्थानीय निवासी कुंदन यादव ने कहा, सहरसा का मत्स्यगंधा झील न केवल कोसी क्षेत्र बल्कि बिहार के प्रमुख पर्यटक स्थलों में गिना जाता था. लेकिन सरकार और जिला प्रशासन की उदासीनता के कारण आज यह झील अपनी खूबसूरती और महत्त्व खो चुका है. अगर इस झील को पुनर्विकसित किया जाए, तो यह एक बार फिर प्रमुख पर्यटक स्थल बन सकता है और इससे हजारों लोगों को रोजगार भी मिलेगा.
झील की अव्यवस्था से लौट रहे पर्यटक निराश
पहले यह झील साफ-सुथरा और आकर्षक पर्यटक स्थल हुआ करता था. झील में बोटिंग के साथ अन्य सुविधाएं भी उपलब्ध थीं. अब यह जगह कचरे और खरपतवार से भर गई है, जिससे पर्यटक निराश होकर लौटने पर मजबूर हैं.
झील का पुनर्विकास जरूरी: स्थानीय लोगों की मांग
पर्यटक और स्थानीय निवासी सरकार और जिला प्रशासन से अपील कर रहे हैं कि झील को पुनर्विकसित किया जाए. इससे न केवल झील की खोई हुई पहचान वापस मिलेगी, बल्कि यह सहरसा को एक प्रमुख पर्यटक स्थल के रूप में स्थापित करने में मददगार साबित होगा.
स्थिति पर प्रशासन की चुप्पी
जिला प्रशासन इस झील की दुर्दशा को लेकर गंभीरता नहीं दिखा रहा है. यह लापरवाही क्षेत्र के पर्यटन और रोजगार पर गहरा असर डाल रही है. अब देखना यह है कि सरकार और प्रशासन कब इस झील के पुनर्विकास के लिए ठोस कदम उठाते हैं.
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FIRST PUBLISHED : November 29, 2024, 21:31 IST