इसमें उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने की अपील की है जो अलगाववादी और चरमपंथी विचारधाराओं के साथ भारत में माहौल खराब करने की कोशिश कर रहे हैं, साथ ही हमारे नेताओं की हत्या का महिमामंडन करते हैं, हमारे वर्तमान राजनीतिक नेतृत्व और राजनयिकों को धमकियां देते हैं, पूजा स्थलों का अनादर और तोड़फोड़ कर रहे हैं और तथाकथित “जनमत संग्रह” आयोजित करके भारत के विभाजन का समर्थन करते हुए बयान देते हैं और लोगों को भड़का रहे हैं.
राजनयिकों को भी नहीं मिल रहीं सुविधाएं
मंत्रालय ने जानकारी देते हुए कहा, “कनाडाई अधिकारी हमारे राजनयिकों और राजनयिक संपत्तियों को सुरक्षा प्रदान करने में सक्षम हैं, लेकिन उन्होंने हाल ही में अलगाववादी और चरमपंथी तत्वों के हिंसक कृत्यों से हमारे राजनायिक शिविरों को सुरक्षा प्रदान करने में असमर्थता ज़ाहिर कर दी है. इसके चलते हमारे राजनयिकों और कांसुलर अधिकारियों को, भारतीय और कनाडाई नागरिकों, विशेष रूप से वरिष्ठ नागरिकों/सेवानिवृत्त लोगों को मिलने वाली सुविधाओं से वंचित किया जा रहा है.”
व्यापार के क्षेत्र में भारत और कनाडा के संबंध
अपने जवाब में विदेश मंत्रालय ने कहा कि मौजूदा वक्त में कनाडा में लगभग 1.8 मिलियन इंडो-कनाडाई (कनाडा की आबादी का लगभग 4.7% हिस्सा) और लगभग 4,27,000 भारतीय छात्रों समेत करीब नॉन रेजिडेंट इंडियन कनाडा में रह रहे हैं. इतना ही नहीं व्यापार के क्षेत्र में भारत और कनाडा के महत्वपूर्ण संबंध रहे हैं.
भारत-कनाडा द्विपक्षीय व्यापार $9.36 बिलियन (2023 का आंकड़ा) है, जिसमें भारत का कनाडा को निर्यात $5.56 बिलियन और कनाडा से आयात $3.8 बिलियन है. वहीं, बात की जाए निवेश पक्ष पर तो कनाडाई पेंशन फंड में भारत की हिस्सेदारी उनके एशिया-प्रशांत निवेश पोर्टफोलियो का लगभग 25% होने का अनुमान है. साथ ही 3.9 अरब डॉलर की एफडीआई के साथ कनाडा भारत में 17वां सबसे बड़ा निवेशक है.