शिक्षा व रोजगार : लोग कहते हैं लोगों को कोई नौकरी नही मिलती तो वह शिक्षक बन जाता है, लेकिन शिक्षक समुदाय में हीं ऐसे ऐसे महान विभूति, सिरोधार्य शिक्षक और शिक्षिका हैं, जो इसी क्षेत्र को अपना सर्वस्व समर्पित कर देश में शिक्षा की एक अलग और अलौकिक अलख जगा रहे हैं। जिनके जीवन में शिक्षक एक पेशा नही बल्कि पूजा बन गया है। भारत में ऐसे एक नही बल्कि हजारों शिक्षक हैं, आज उनमें से एक कोहिनूर से आपको रूबरू कराते हैं :-
जी हाँ, ये शिक्षिका हैं मध्य विद्यालय शंकरपुर चौवनिया नाथनगर भागलपुर की शिक्षिका श्रीमती शालिनी कुमारी जिन्हें नागरी प्रचारिणी सभा काशी में काशी विश्वनाथ साहित्य सम्मान से अलंकृत किया गया। इन्हें यह सम्मान वैश्विक साहित्यिक सांस्कृतिक एवं ज्योतिष शोध संस्था कानपुरउत्तर प्रदेश वृहद पुरोहित संघ मॉरीशस हिंदी यूनिवर्स फाउंडेशन नीदरलैंड एवं नागरी प्रचारिणी सभा काशी के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में दिया गया।
इस संगोष्ठी में वैश्विक साहित्यिक सांस्कृतिक एवं ज्योतिष शोध संस्थान कानपुर उत्तर प्रदेश द्वारा इन्हें हिंदी भाषा की पुनर प्रतिष्ठा के सार्थक प्रयास में लगे रहने के लिए काव्य शिरोमणि सम्मान भी दिया गया। इन्हें या सम्मान अमेरिका से आई विश्व विख्यात अल्का भटनागर श्रीलंका की प्रोफेसर डॉक्टर एमिला मॉरीशस से महात्मा गांधी इंस्टीट्यूट की प्रोफेसर डॉक्टर अलका धनपत एवं महादेवी वर्मा के भतीजे आचार्य संजीव वर्मा सलिल ने प्रदान किया शिक्षिका डॉक्टर शालिनी कुमारी पूर्व में भी कई विभिन्न विषयों पर राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित सेमिनार में अपना आलेख प्रस्तुति कर चुकी है। जिसके लिए इन्हें कई बार राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कृत किया गया है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में उनके लिखे आलेख, कविताएं कहानियां सामाजिक विचार, समसामयिकी एवं स्तंभ प्रकाशित हो चुके हैं, बिहार के शिक्षा जगत में भी इनका नाम और चेहरा किसी परिचय का मोहताज नहीं है। शिक्षा जगत एवं सोशल मीडिया में इन्हें टीआर डॉक्टर शालिनी रघुवंश के नाम से ख्याति प्राप्त है। समस्त कार्यक्रम का संचालन श्री अरविंद श्रीवास्तव असीम एवं एडवोकेट रमाशंकर शुक्ल ने किया ।कार्यक्रम को सुनीता चौहान एवं श्री डॉ विनय भारद्वाज रिटायर्ड एचओडी, हिंदी विभाग, गया यूनिवर्सिटी के संयुक्त प्रयास से संपूर्ण किया गया।