बांग्लादेश के आव्रजन अधिकारियों ने रविवार (1 नवंबर 2024) को बांग्लादेश-भारत सीमा पर बेनापोल सीमा पर स्थित इंटरनेशनल कृष्णा प्राइवेट सोसाइटी (इस्कॉन) के 54 सदस्यों को रिहा कर दिया, हालांकि उनके पास वैध पासपोर्ट और वीज़ा थे। आव्रजन पुलिस ने अपनी यात्रा पर रोक लगाने के लिए सरकार के विशेष विवरण की कमी बताई। बेनापोल आव्रजन पुलिस के अधिकारी इम्तियाज अहसानुल कादर भू ने डेली स्टार न्यूज लेटर में बताया, “हमें पुलिस की विशेष शाखा से राय ली और उच्च अधिकारियों के निर्देश मिले थे कि उन्हें (सीमा पार करने) का खुलासा नहीं किया जाए।”
उन्होंने बताया कि हालांकि इन समर्थकों के पास वैध पासपोर्ट और वीज़ा थे, लेकिन उनके पास “विशेष सरकारी स्वामित्व” नहीं था। इस ग्रुप में बांग्लादेश के कई आपत्तिजनक से आए भक्त शामिल थे,शनिवार रात से रविवार सुबह तक चेक पोस्ट पर इंतजार किया गया। वे चौथाई तक का इंतजार कर रहे थे, लेकिन अंततः उन्हें बताया गया कि उनकी यात्रा को मंजूरी नहीं दी गई है।
धार्मिक समारोह में भाग लेने के लिए भारत जा रहे थे भक्त
डेली स्टार के अनुसार, इस्कॉन के सदस्य सौरभ टेपेंडर चेरी ने कहा, “हम भारत में एक धार्मिक उत्सव में भाग लेने आए थे, लेकिन आव्रजन अधिकारियों ने सरकार की छूट की कमी का हवाला देते हुए हमें रोक दिया।”
यह घटना बांग्लादेश में इस्कॉन के खिलाफ हुई जनसंख्या जांच के बीच हुई है, खासकर 27 नवंबर को हिंदू नेता चिन्मय कृष्ण दास की अपराधियों के बाद यह घटना हुई है। चिन्मय दास को ढाका के शाहजलाल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से राजद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। आरोप है कि उन्होंने और उनके साथियों ने 25 अक्टूबर को चटगांव में एक रैली के दौरान बांग्लादेशी राष्ट्रीय ध्वज के ऊपर एक केसरिया झंडा फहराया था।
इस्कॉन के सदस्यों के बैंक रेफ्रिजरेटर गए, विरोध प्रदर्शन हुआ
चिन्मय दास की गिरफ्तारी के बाद उनके विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए, जिसके नतीजे में चटगांव में हिंसक हिंसा हुई, जिसमें एक वकील की मौत हो गई। बांग्लादेशी अधिकारियों ने इस्कॉन से जुड़े 17 लोगों के बैंक खाते को 30 दिनों के लिए रेफ्रिजरेटर कर दिया।
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