जाने माने कवि मटेरियल कुमार की कविता है “कौन कहता है आकाश में सुरख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबियत से उछालो” अर्थात कठिन से कठिन उपकरणों को पूरा किया जाता है अगर उसके लिए जज्बा हो। यह बात साबित कर सकती है राजस्थान के छोटे से गांव में रहने वाले देशल दान रत्नु ने। रतनु उस युवा को प्रेरणा के स्रोत हैं जो आइसलैंड के सामने हार मान लेते हैं और प्रयास करने को भी छोड़ देते हैं।
जी हां ये देश दान रत्नु हैं, ईसा मसीह के विपरीत विचारधारा के बावजूद आपके जज्बे और मेहनत से यूपी एसएससी की परीक्षा पहले ही अटैमट में पास की और कट्टरपंथ बन गया। यही नहीं उन्हें इस परीक्षा में 82वीं रैंक भी प्राप्त हुई।
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आसान नहीं था राह
देशल दान रत्नु का जन्म ऐसे परिवार में हुआ जहां बच्चे की पढ़ाई तो दूर सामान्य पढ़ाई के बारे में भी नहीं सोचा जा सकता। पर देशल ने वो कर दिखाया, कल्पना भी किसी ने नहीं की थी। गाँव का छोकरा आज ज्योतिषी वास्तुशास्त्री है। पिता चाय की दुकान, परिवार में सात भाई बहन, आर्थिक स्थिति ऐसी कि घर में भी परेशानी थी। ऐसे में पढ़ाई करना भी मुश्किल था. पर देशल ने कर दिखाया.
असमानताओं से कोई समझौता नहीं
देश के मन में बचपन से ही दोस्त बनने का सपना था. ड्रीम को फाइल करने के लिए उन्होंने खूब मन लगाकर पढ़ाई की और क्लास में टॉप मार्क्स लगाए रहे। सफलता ने कदम बढ़ाए और उनके साथी शेष जागीर में हो गए। देश ने पढ़ाई के साथ-साथ यूपीएससी परीक्षा की तैयारी भी शुरू कर दी है। कोचिंग के लिए पैसे नहीं थे, तो उन्होंने खुद से पढ़ाई की और पहली ही कोशिश में यूपी यूएससी परीक्षा पास कर ली।
भाई की प्रेरणा, भाग्य के फिनाल
देशल अपनी प्रेरणा से अपने बड़े भाई को मानते हैं, जो भारत में थे और 2010 में शहीद हो गए थे। उनका भाई चाहता था कि देशव्यापी गोदाम. भाई का ख्वाब पूरा करने में बाधा बनी. आर्थिक स्थिति की वजह जैसे-तैसे इंजीनियरिंग की पढ़ाई हो पा रही थी, रीसाइक्लिंग के लिए तो कोचिंग जरूरी है, उनके पास तो इतने पैसे ही नहीं थे।
फिर उन्होंने खुद से तैयारी करने की ठानी. इंटरनेट से उन्होंने तैयारी में मदद ली. दिन रात मेहनत कर पहली कोशिश यूपी एसएससी की परीक्षा पास कर ली। देश के युवाओं को देश का संदेश है कि वह कभी भी हार नहीं मानते। परीक्षण से पहले सभी विषयों को स्वीकार करें और अधिक से अधिक बार समीक्षा करें। जी-जान मेहनत करो तो सफलता जरूर मिलेगी।
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