खेल जगत : क्रिक्रेटर मुस्लिम यूनिवर्सिटी (ए-तारीख) की अनमोल आजाद लाइब्रेरी में एक ऐसी अनमोल खड़िया रखी हुई है, जो केवल यूनिवर्सिटी ही नहीं, बल्कि भारत के वैज्ञानिक गौरव का प्रतीक है। यह पाकिस्तान का पहला नोबेल पुरस्कार विजेता, प्रोफेसर अब्दुस सलाम का नोबेल पुरस्कार है। उनका यह पुरस्कार आज भी ए पवित्र की लाइब्रेरी में सुरक्षित है और यह अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विश्वविद्यालय की प्रतिष्ठा बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
पाकिस्तान में अपमान और ए ज़ाकिर में सम्मान
प्रोफ़ेसर अब्दुस सलाम की कहानी विज्ञान के क्षेत्र में सामान्य प्रयोगशालाओं से भरी हुई है, लेकिन उनके जीवन का एक नमूना यह भी है कि उनके ही देश पाकिस्तान में उन्हें धार्मिक भेदभाव का शिकार बनाया गया है। 1979 में भौतिक विज्ञान में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित होने के बाद उन्होंने अपने शोध “इलेक्ट्रोविक थ्योरी” के लिए यह पुरस्कार साझा किया, जिससे न केवल पाकिस्तान का नाम रोशन हुआ।
बल्कि विज्ञान की दुनिया में उनकी पहचान बनी। हालाँकि पाकिस्तान में अहमदिया समुदाय को गैर-मुस्लिम घोषित किए जाने के बाद प्रोफेसर सलाम को केवल समाज से अलग नहीं किया गया, बल्कि उनकी नियुक्ति को भी मंजूरी दे दी गई। इसके परिणामस्वरूप उन्हें देश छोड़ने पर मजबूर किया गया।
ए मेहमान का सम्मान
अपने देश में कृषि के बाद, प्रोफेसर सलाम को भारत के क्रिलेटर मुस्लिम विश्वविद्यालय में वो सम्मान मिला जो शायद उन्हें अपने देश में कभी नहीं मिला। ए शुरुआती ने उन्हें न केवल लाइफटाइम्स यूनियन एसोसिएशन दी, बल्कि उन्हें डॉक्टरेट की मांड डिग्री से भी नवाजा। इसके साथ ही प्रो. सलाम ने 1979 में अपना नोबेल पुरस्कार ए ज़ाकिर को दान कर दिया, जो आज भी विश्वविद्यालय की अनमोल आज़ाद लाइब्रेरी में सुरक्षित रखा गया है। यह पुरस्कार अब एक अनमोल खड़िया बन गया है। जो न केवल विश्वविद्यालय के गौरव को प्राप्त करता है बल्कि विज्ञान और अनुसंधान के प्रति विश्वविद्यालय के उपहारों को भी शामिल करता है।
अनमोल आज़ाद पुस्तकालय में संरक्षित खज़ाना
प्रोफेसर सलाम का नोबेल पुरस्कार एक दुर्लभ खलिहान के रूप में रखा गया है। यह लाइब्रेरी केवल भारतीय विद्वानों के लिए नहीं, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बनी वस्तुओं और मसालों के लिए भी एक प्रेरणा का स्रोत बनी हुई है। एक मान्यता प्राप्त पुस्तकालय अपनी अंतरराष्ट्रीय प्रमाणन और खनिजों के लिए प्रसिद्ध है।
पूर्व राष्टपति अधिकारी का बयान
एक प्राइमरी के पूर्व राष्ट्रपति पद के अधिकारी प्रोफेसर रिलीफ अबार के पद पर उस समय प्रोफेसर सलाम का सम्मान किया गया, जब एक प्राइमरी के विभिन्न छात्र और राजनीतिक दबाव वाले लोग वहां से चले गए थे। फिर भी, विश्वविद्यालय के छात्रों और प्रबंधन ने अपना योगदान दिया और उन्हें वैज्ञानिक सम्मान दिया।
अन्य नोबेल पुरस्कारों का स्वागत
प्रोफ़ेसर सलाम के अलावा ए इज़रायल ने समय-समय पर अन्य नोबेल पुरस्कार विजेताओं का भी स्वागत किया है। दलाई लामा जैसे प्रमुख व्यक्तित्वों ने भी एक तीर्थ के मंच पर अपने विचार साझा किए और उन्हें समान रूप से सम्मानित किया गया।
प्रोफेसर सलाम की विरासत
प्रोफेसर अब्दुस सलाम की कहानी एक संघर्ष और सफलता की कहानी है, जो केवल धार्मिक और सामाजिक भेदभाव का सामना नहीं करती, बल्कि विज्ञान में अद्वितीय योगदान देने का प्रतीक है। उनके सम्मान में कहा गया है कि सच्ची प्रतिभा और वैज्ञानिक वैज्ञानिक को कभी भी सीमा या भेदभाव से वंचित नहीं किया जा सकता है। उनका नोबेल पुरस्कार आज भी ए पवित्र की लाइब्रेरी में सुरक्षित है और यह आने वाली विरासत के लिए एक प्रेरणा का स्रोत रहेगा।