औरंगाबाद : किसान कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष धीरेंद्र कुमार सिंह ने पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अखिलेश प्रसाद सिंह पर बड़े और गंभीर आरोप लगाए हैं। इसे लेकर उन्होंने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को एक पत्र भी लिखा है। पत्र के माध्यम से धीरेंद्र सिंह ने राष्ट्रीय अध्यक्ष का लोकसभा चुनाव 2024 में प्रदेश अध्यक्ष द्वारा पार्टी को दुर्गति की ओर ले जाने के प्रति ध्यान आकृष्ट कराया है।
‘राजद प्रेम के कारण पार्टी को तीन सीटों पर करना पड़ा संतोष’
धीरेंद्र कुमार सिंह ने आरोप लगाया है कि डॉ. अखिलेश प्रसाद सिंह की गलत नीति और राजद से प्रेम के चलते ही पार्टी को बिहार में तीन सीटों पर संतोष करना पड़ा, नहीं तो जो स्थिति बनी थी उसमें कांग्रेस को नौ में से सात सीटों पर चुनाव में विजय मिलनी तय थी। उन्होंने कहा कि किसी भी दल के गठबंधन में बात बनने के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सीटों की घोषणा की जाती है, लेकिन बिना घोषणा किए ही राजद ने पांच सीटों पर अपने उम्मीदवार को सिंबल दे दिया। इसके बाद भी डॉ. अखिलेश प्रसाद सिंह ने राजद प्रेम में पार्टी के हित में कोई निर्णय नहीं लिया। इस कारण उन सीटों पर महागठबंधन की जीत नहीं हुई, जहां होनी चाहिए थी। उन सीटों को कांग्रेस के माध्यम से राजद की ओर बढ़ा दिया गया।
‘औरंगाबाद, पूर्णिया और बेगूसराय की सीट की चढ़ा दी बलि’
किसान कांग्रेस नेता धीरेंद्र कुमार सिंह ने आगे कहा कि डॉ. अखिलेश प्रसाद सिंह ने सबसे पहले पार्टी की परंपरागत औरंगाबाद, पूर्णिया और बेगूसराय की सीट की बलि दे दी। इसके बाद उन्होंने नौ में से छह सीटों के लिए बाहरी उम्मीदवार को लाकर टिकट देने का काम किया। इसमें पैसे का भी खूब लेनदेन हुआ और उन सीटों का परिणाम क्या हुआ, यह सामने है। उन्होंने कहा कि पूर्व में भी मैंने 12 मई को खरगे साहब, सोनिया गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, केसी वेणुगोपाल और मोहन प्रकाश को भी पत्र भेजा था। उसमें मैंने स्पष्ट रूप से कहा था कि किशनगंज और कटिहार की सीट पार्टी के उम्मीदवार अपने बलबूते पर जीतेंगे। बाकी किसी भी सीट पर जीत आसान नहीं थी। परंतु पार्टी ने सासाराम सीट पर अंत-अंत तक विजय प्राप्त की। यह पार्टी के लिए गर्व की बात है।
‘तो कांग्रेस पार्टी छह सीटें जीतती’
उन्होंने कहा कि औरंगाबाद, पूर्णिया और बेगूसराय की सीट कांग्रेस के हिस्से में होती तो आज हमारी पार्टी की सीटों की संख्या छह होती। परंतु डॉ. अखिलेश प्रसाद सिंह ने अपने पुत्र प्रेम में पार्टी की बलि दे दी और पूर्णिया की सीट पप्पू यादव के लिए राजद से मुक्त नहीं करा सके। जबकि पप्पू यादव ने अपना सर्वस्व त्याग कर अपनी पार्टी का कांग्रेस में विलय कर दिया। इसके बावजूद डॉ. अखिलेश प्रसाद सिंह पप्पू यादव के लिए पूर्णिया की सीट को नहीं बचा सके। ऐसा इसलिए किया ताकि मजबूत नेता से उनकी राजनीति को दिक्कत न हो। इसके बाद वे पप्पू यादव को हराने के कार्य में भी लग गए।
‘पप्पू यादव को हराने के लिए अपनाया हर हथकंडा’
उन्होंने कहा कि प्रदेश अध्यक्ष को इसकी नैतिक जिम्मेवारी लेनी चाहिए कि अपने पुत्र को जिताने के लिए उन्होंने पूरे बिहार कांग्रेस के लोगों को एकत्र किया, फिर भी अपने पुत्र को नहीं जिता सके। पूर्णिया की सीट को हराने के लिए हर हथकंडा अपनाया, फिर भी पप्पू यादव ने चुनाव जीत कर उनकी मंशा पर पानी फेर दिया।
‘औरंगाबाद की सीट राजद की झोली में डाली’
उन्होंने आरोप लगाया कि प्रदेश अध्यक्ष ने औरंगाबाद जिला कांग्रेस कमेटी से 17 लाख रुपये की मांग की थी, जिसे जिला कांग्रेस कमेटी ने नहीं दिया। इस मामले में प्रदेश अध्यक्ष का कहना था कि राहुल गांधी के औरंगाबाद के कार्यक्रम में भोजन में 17 लाख रुपये खर्च हुए थे। जबकि हकीकत यह है कि औरंगाबाद में राहुल गांधी रुके ही नहीं थे। इसके बावजूद उन्होंने पैसे मांगे। जिला कांग्रेस कमिटी द्वारा पैसे न दिए जाने के गुस्से में औरंगाबाद की सीट को उन्होंने राजद की झोली में डाल दिया। वह अखिल भारतीय कांग्रेस कमिटी के नेतृत्व से मांग करते है कि डॉ. अखिलेश प्रसाद सिंह को हटाकर किसी भी पुराने कांग्रेसी को बिहार प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया जाए। उन्होंने कहा कि वर्ष 2025 में बिहार विधानसभा के चुनाव होने हैं। अभी डेढ़ वर्षों का समय बचा है। अभी भी पार्टी की लाज हम लोग बचा सकते हैं। राहुल गांधी के न्याय यात्रा के बाद बिहार में पार्टी के प्रति लोगों का रुझान आने लगा था। जरूरत थी उसे भुनाने की, लेकिन डॉ. अखिलेश प्रसाद सिंह उसे पार्टी के पक्ष में भुना नहीं सके। इसका खामियाजा पार्टी को भुगतना पड़ा और पार्टी के विजय श्री की सीटों की संख्या आधी हो गई।