वर्ल्ड बैंक ने फाइनेंशियल ईयर 2024-25 के लिए भारत के ग्रॉस डोमेस्टिक प्रोडक्ट यानी GDP ग्रोथ के अनुमान को 6.6% से बढ़ाकर 7% कर दिया है। विश्व बैंक के कंट्री डायरेक्टर (इंडिया) अगस्टे तानो कौमे ने कहा कि पिछले वित्त वर्ष 2024 में भारतीय इकोनॉमी 8.2% की रफ्तार से बढ़ी, जो सबसे तेज रही। भारत की अर्थव्यवस्था अभी भी अच्छी रफ्तार से बढ़ रही है। ऐसे में विश्व बैंक ने वर्तमान वित्त वर्ष के लिए अपने ग्रोथ के अनुमान को बढ़ा दिया है। RBI ने GDP ग्रोथ का अनुमान 7.2% पर बरकार रखा
पिछले महीने RBI ने FY25 के लिए भारत की GDP ग्रोथ का अनुमान 7.2% पर बरकरार रखा था। वहीं, इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड यानी IMF ने वित्त-वर्ष 2024-25 के लिए भारत की GDP ग्रोथ का अनुमान 0.20% बढ़ाकर 7% किया था। ग्रॉस डोमेस्टिक प्रोडक्ट क्या है?
GDP इकोनॉमी की सेहत को ट्रैक करने के लिए उपयोग किए जाने वाले सबसे आम इंडिकेटर्स में से एक है। GDP देश के भीतर एक निश्चित समय में उत्पादित सभी वस्तुओं और सेवाओं की वैल्यू को दिखाती है। इसमें देश की सीमा के अंदर रहकर जो विदेशी कंपनियां प्रोडक्शन करती हैं उन्हें भी शामिल किया जाता है। दो तरह की होती है GDP
GDP दो तरह की होती है। रियल और नॉमिनल। रियल GDP में गुड्स और सर्विस की वैल्यू का कैलकुलेशन बेस ईयर की वैल्यू या स्टेबल प्राइस पर किया जाता है। अभी GDP कैलकुलेशन के लिए बेस ईयर 2011-12 है। यानी 2011-12 में गुड्स और सर्विस के जो रेट थे उस हिसाब से कैलकुलेशन। वहीं नॉमिनल GDP का कैलकुलेशन करेंट प्राइस पर किया जाता है। कैसे कैलकुलेट की जाती है GDP?
GDP कैलकुलेट करने के लिए एक फॉर्मूले का इस्तेमाल किया जाता है। GDP=C+G+I+NX, यहां C का मतलब है प्राइवेट कंजम्प्शन, G का मतलब गवर्नमेंट स्पेंडिंग, I का मतलब इन्वेस्टमेंट और NX का मतलब नेट एक्सपोर्ट है। GDP की घट-बढ़ के लिए जिम्मेदार कौन है?
GDP को घटाने या बढ़ाने के लिए चार इम्पॉर्टेंट इंजन होते हैं। पहला है, आप और हम। आप जितना खर्च करते हैं, वो हमारी इकोनॉमी में योगदान देता है। दूसरा है, प्राइवेट सेक्टर की बिजनेस ग्रोथ। ये GDP में 32% योगदान देती है। तीसरा है, सरकारी खर्च। इसका मतलब है गुड्स और सर्विसेस प्रोड्यूस करने में सरकार कितना खर्च कर रही है। इसका GDP में 11% योगदान है। और चौथा है, नेट डिमांड। इसके लिए भारत के कुल एक्सपोर्ट को कुल इम्पोर्ट से घटाया जाता है, क्योंकि भारत में एक्सपोर्ट के मुकाबले इम्पोर्ट ज्यादा है, इसलिए इसका इम्पैक्ट GPD पर निगेटिव ही पड़ता है।
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