राष्ट्रीय : हरियाणा में 12 सितंबर से पहले विधान सभा की बहस पार्टी और विधान सभा को तोड़ने के लिए संवैधानिक संकट के बीच हरियाणा सरकार ने अर्जेंट असेंबली की बैठक बुलाई है। घटकों की संख्या तो इस बैठक में विधानसभा को तोड़ने का निर्णय लिया जाएगा। मुख्यमंत्री प्रमुख सिंह सोलंकी की राष्ट्रपति पद के लिए होने वाली बैठक में सरकार के अधिकांश मंत्री शामिल होंगे। सुबह-सुबह बीजेपी के नामांकन के कारण समझौते का समय तय हो गया है.
मुख्य सचिव कार्यालय की ओर से अभी तक बैठक का समय निर्धारित नहीं किया गया है, लेकिन पाली के उद्यम को इसकी सूचना दे दी गई है। कुछ पार्टियों की बैठक में शामिल होने की स्थिति में उन्हें वीडियो बनाने के लिए शामिल करने के आदेश दिए गए हैं। संविधान विशेषज्ञ की राय के अनुसार, ऐसा करना सरकार के लिए जरूरी है। कारण साफ है कि 6 महीने के अंतराल से पूर्व सदनों का अगला सत्र संवैधानिक अनिवार्यता है। बेशक प्रदेश विधानसभा के ताजा चुनाव घोषित किये गये हो। विधानसभा चुनाव आयोग ने 15वीं हरियाणा विधानसभा के गठन के लिए एकल मंडल और संवैधानिक मामलों के सहयोगियों के साथ मिलकर आम चुनाव की प्रक्रिया शुरू कर दी है, जिसमें भी सरकार सत्र बुलाया जा सकता है। उनका कहना है कि 14वां हरियाणा विधानसभा, जिसका नाम 3 नवंबर 2024 तक है, एवं जिसका पिछला एक दिन का विशेष सत्र 5 माह पूर्व 13 मार्च 2024 को कहा गया था। ऐसे में संविधान के अनुच्छेद 174(1) की सख्त सज़ा में पूर्वी प्रदेश विधानसभा का एक सत्र, बेशक वह एक दिन या दो दिन की अवधि का ही क्यों न हो, वह आगामी 12 सितंबर 2024 से पहले बुलाना अनिवार्य है।
संविधान क्या है… संविधान में स्पष्ट उल्लेख है कि पिछले सत्र की अंतिम बैठक और अगले सत्र की प्रथम बैठक के बीच 6 महीने का अंतर नहीं होना चाहिए। सरकार की ओर से पिछली सरकार की बैठक में बहस सत्र पर कोई निर्णय नहीं लिया गया। ऐसे में अब सरकार के पास हरियाणा विधानसभा को समयपूर्व भंग करने के लिए राज्यपाल से बचाव करना ही एकमात्र विकल्प बचा है। हरियाणा में संवैधानिक संकट का कारण हरियाणा में चुनाव की घोषणा के बाद संवैधानिक संकट खड़ा हो गया। इसकी वजह 6 महीने का एक बार का विधानसभा सत्र बुलाना है।
राज्य विधानसभा का अंतिम सत्र 13 मार्च को हुआ था। इसमें नई बनी सीएम प्लास्टिक पॉलिटिक्स ने विश्वास मत हासिल किया था। इसके बाद 12 सितंबर तक सत्र बुलाना अनिवार्य है। यह संवैधानिक संकट ऐतिहासिक भी है, क्योंकि देश आजाद होने के बाद कभी ऐसी स्थिति नहीं आई। हरियाणा में ही कोरोना के दौरान भी इस संकट को टालने के लिए 1 दिन का सत्र बुलाया गया था। 6 माह में सत्र न पार्टी का इतिहास उदाहरण में नहीं है। संविधान के अनुयायी वैसे ही होते हैं जैसे तो यह मोहरा कागजी दस्तावेज होता है, लेकिन संवैधानिक रूप से अनिवार्य होने से इसे हर हाल में पूरा करना होगा। ऐसे सूरत में भी सत्र न बुलाया हो, ऐसा कोई उदाहरण देश में नहीं है। 14वीं विधानसभा का 3 नवंबर से राज्य में इस समय 15वीं विधानसभा चल रही है। 15वीं विधानसभा के गठन के लिए चुनाव की घोषणा हो गई है। इसकी अधिसूचना 5 सितंबर को जारी हो चुकी है। 5 अक्टूबर को वोटिंग और 8 अक्टूबर की गिनती होगी। रियल विधानसभा का चुनाव 3 नवंबर तक है।