बेगूसराय : बेगूसराय जिले के तेघड़ा अनुमंडल क्षेत्र की लगभग एक लाख की आबादी बाढ़ की चपेट में है, जहां लोग अपनी जिंदगी नाव पर गुजारने को मजबूर हैं. गंगा नदी में आए उफान ने लोगों के घरों को पानी में डुबो दिया है, और वे अपने ही घरों में मुसाफिर बन गए हैं. बाढ़ की त्रासदी ने उनके जीवन को पूरी तरह से बदल दिया है, जहां अब भूखे पेट रहकर भोजन की तलाश करना एक नई दिनचर्या बन गई है.
बाढ़ की तबाही: सड़क से नाव पर आई जिंदगी
लोकल 18 द्वारा सामने आई तस्वीरें हालात की भयावहता को बयां कर रही हैं. बाढ़ की तबाही ने लोगों को सड़क से नाव पर ला खड़ा किया है. कई परिवार बेघर हो गए हैं और अब छतों पर अस्थायी आश्रय लेकर अपनी जिंदगी बिता रहे हैं. जहां कुछ लोग अपने लिए भोजन जुटाने की कोशिश कर रहे हैं, वहीं दवाइयां खरीदने के लिए सूखे इलाकों तक पहुंचने में घंटों लग रहे हैं. मरीजों का अस्पताल तक पहुंचना मुमकिन नहीं रह गया है, और हर तरफ सिर्फ संघर्ष ही दिखता है.
भूख और बीमारी से जूझते लोग
लोकल 18 की टीम ने बाढ़ पीड़ितों से बातचीत की. नाविक अर्जुन यादव ने बताया कि वे दिन भर में 21 ट्रिप लगाते हैं, लेकिन इस बार बाढ़ में सरकारी मदद बिल्कुल नहीं मिल रही है. 75 वर्षीय सुखदेव राय ने बताया कि वे सुबह से भोजन की तलाश में थे, लेकिन शाम 3 बजे तक भी कोई मदद नहीं मिली. बीमार परिवारों के सदस्य दवाइयां लाने के लिए घंटों का सफर तय कर रहे हैं. कई लोग दो वक्त का खाना छोड़कर भोजन बचाने की कोशिश कर रहे हैं. छात्र शिवम कुमार ने बताया कि परीक्षा देने के लिए नाव से स्कूल गए और फिर उसी तरह घर लौटे.
प्रशासन ने शुरू की राहत कार्यवाही
लोकल 18 द्वारा लगातार कवरेज के बाद जिला प्रशासन हरकत में आया. बेगूसराय के जिला पदाधिकारी तुषार सिंगला ने गंगा नदी के बढ़ते जलस्तर से प्रभावित रातगांव पंचायत का निरीक्षण किया. उनके साथ स्थानीय अधिकारी भी मौजूद थे. प्रशासन ने सामुदायिक रसोई के संचालन की समीक्षा की, जहां लगभग 2,000 लोगों को प्रतिदिन भोजन कराया जा रहा है. हालांकि, बाढ़ पीड़ितों का कहना है कि सामुदायिक रसोई का भोजन अब तक उन तक नहीं पहुंचा है. बाढ़ से जूझ रहे लोग प्रशासन से मदद की उम्मीद लगाए बैठे हैं, लेकिन उनकी जिंदगी में अभी भी नाव ही उनका सहारा बनी हुई है।