मुंगेर : जिले के आदर्शग्राम टीकारामपुर स्थित मध्य विद्यालय में छात्रों की पढ़ाई भय और आशंका के बीच हो रही है. स्कूल के केवल तीन कमरों में आठवीं तक के 303 बच्चों को किसी तरह से पढ़ाया जा रहा है, लेकिन स्कूल की स्थिति इतनी खराब है कि किसी भी समय अप्रिय घटना घट सकती है. बच्चे विद्यालय आने से पहले भगवान की पूजा करते हैं ताकि किसी दुर्घटना से बचे रहें.
इस सरकारी मध्य विद्यालय की स्थिति इतनी खराब है कि कभी भी कोई अनहोनी घटना हो सकती है. विद्यालय में केवल तीन कमरे हैं, जिनमें से एक में मध्याह्न भोजन का सामान भी रखा जाता है. इन तीन कमरों में 303 बच्चों को बैठाना और पढ़ाई कराना एक बड़ी चुनौती है. हालात ऐसे हैं कि एक-एक कमरे में दो-दो बैचों की कक्षाएं चलानी पड़ती हैं, जिससे पढ़ाई का माहौल भी बाधित हो रहा है. विद्यालय में सिर्फ भवन ही नहीं, बल्कि शिक्षकों की भी कमी है, जिससे शिक्षा की गुणवत्ता पर गहरा प्रभाव पड़ रहा है.
प्रधानाध्यापक ने बताई अपनी समस्या
विद्यालय के प्रधानाध्यापक ने बताया कि स्कूल की स्थिति बेहद भयावह है. उन्होंने कई बार उच्चाधिकारियों से शिकायत की, लेकिन अब तक कोई समाधान नहीं निकला है. उनका कहना है कि जर्जर भवन कभी भी गिर सकता है, जिससे बच्चों की सुरक्षा पर बड़ा खतरा मंडरा रहा है.
शिक्षकों की कमी और असंगत पढ़ाई
विद्यालय में शिक्षकों की कमी भी एक गंभीर समस्या है. सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि यहां पर सामाजिक अध्ययन के शिक्षक संस्कृत पढ़ाते हैं, जिससे बच्चों की शिक्षा पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है. इस स्थिति की जानकारी जिला प्रशासन और जनप्रतिनिधियों को है, लेकिन किसी ने अब तक इस स्कूल की समस्याओं को हल करने के लिए कदम नहीं उठाए हैं.
बच्चों में डर का माहौल
स्कूल के छात्रों ने बताया कि वे हर दिन विद्यालय आते वक्त डरे रहते हैं. उन्हें हमेशा यह चिंता सताती रहती है कि कहीं कोई अप्रिय घटना न हो जाए. इस डर के चलते बच्चे विद्यालय आने से पहले भगवान की पूजा करते हैं, ताकि वे सुरक्षित रहें. मुंगेर के इस विद्यालय की दुर्दशा राज्य की शिक्षा व्यवस्था की गंभीर खामियों को उजागर करती है. बच्चों का भयभीत होकर पढ़ाई करना शिक्षा के अधिकार और उनकी सुरक्षा के प्रति प्रशासन की असंवेदनशीलता का प्रतीक है.