मधुबनी : जिले के किसान इन दिनों बाढ़ और बारिश की असमानता से गहरे संकट में हैं. जिले के कई हिस्सों में अत्यधिक बारिश और बाढ़ ने किसानों की धान की फसल को तबाह कर दिया है, जबकि कुछ क्षेत्रों में बारिश की कमी ने फसल सूखा दी है. किसान दोहरी चुनौती का सामना कर रहे हैं, जिससे उनकी आजीविका और मेहनत पर गहरा असर पड़ा है.
बाढ़ और सूखे ने बढ़ाई किसानों की मुश्किलें
शुरुआत में जब 2-4 दिनों की बारिश हुई, तो किसानों के मन में उम्मीद जगी और उन्होंने धान की बुआई की. लेकिन अब वे सिर पकड़ कर बैठे हैं, क्योंकि कुछ क्षेत्रों में बाढ़ ने उनकी फसल को पूरी तरह से नष्ट कर दिया है, वहीं कुछ इलाकों में बारिश की कमी से धान की फसल सूख रही है. फसल में पीलापन आ गया है और पौधे गलने लगे हैं, जिससे किसानों की मेहनत बेकार हो गई है
महिलाओं की आवाज: गीता देवी की चिंता
लोकल 18 से बातचीत के दौरान गीता देवी, जो मधुबनी की एक महिला किसान हैं, ने कहा, “यहां कोई 10 कट्ठे में तो कोई 5 बीघे में खेती करता है, लेकिन सबकी फसल बर्बाद हो गई है. मधुबनी जिले में बाढ़ और सूखा दोनों की समस्या ने किसानों को पूरी तरह से परेशान कर दिया है. उन्होंने बताया कि स्थिति इतनी गंभीर हो गई है कि किसान अपनी लागत की भी वसूली नहीं कर पा रहे हैं।
कृषि विशेषज्ञों की राय और किसानों की पीड़ा
जिले के कृषि विशेषज्ञों ने भी स्वीकार किया है कि मौसम के असमान उतार-चढ़ाव ने खेती पर गंभीर प्रभाव डाला है, कई किसानों ने बताया कि फसलों में पीलापन आ गया है और पौधे सड़ रहे हैं. गंगा महतो, जो 5 बीघे में खेती करते हैं, ने कहा, “बारिश नहीं होने से मेरी फसल पूरी तरह से बर्बाद हो गई है. अब मैं उन सूखे पौधों को काटकर अपने मवेशियों को चारा के रूप में खिला रहा हूं।
प्रशासन से मदद की उम्मीद
किसानों की इस गंभीर स्थिति को देखते हुए स्थानीय प्रशासन ने राहत कार्य शुरू करने का आश्वासन दिया है. हालांकि, किसान अभी भी सरकारी मदद का इंतजार कर रहे हैं. सबसे बड़ी चिंता यह है कि वे अपनी लागत कैसे निकालेंगे, जब फसलें पूरी तरह से नष्ट हो चुकी हैं. मधुबनी जिले के किसान बाढ़ और सूखे की दोहरी मार झेल रहे हैं, जिससे उनकी खेती और आजीविका पर गहरा संकट छाया हुआ है. अगर जल्द ही समाधान नहीं निकला, तो किसानों की स्थिति और भी दयनीय हो सकती है।
पूरी खबर पढ़ें