वैशाली. बिहार में लागू शराबबंदी कानून के बावजूद जहरीली शराब से होने वाली मौतों का सिलसिला रुकने का नाम नहीं ले रहा है. हर साल जहरीली शराब से कई लोग अपनी जान गंवा रहे हैं, लेकिन इस गंभीर स्थिति के बावजूद न तो सरकार और न ही प्रशासन पर कोई खास असर पड़ता दिख रहा है. असली दुख तो उन परिवारों पर टूटता है, जिनके प्रियजन समय से पहले मौत के मुंह में समा जाते हैं.
मझौली गांव के सतीश का दुखद मामला
बिदुपुर के मझौली गांव निवासी सतीश भी इसी जहरीली शराब का शिकार हो गए. कुछ महीने पहले उनकी मौत शराब पीने से हो गई थी. सतीश की मौत से उनका परिवार गहरे सदमे में है. उनकी पत्नी और बूढ़ी मां आज भी अपने आंसू नहीं रोक पा रही हैं, जबकि उनके वृद्ध पिता मजदूरी कर किसी तरह घर चला रहे हैं. सतीश के दो छोटे-छोटे बच्चे अपने पिता के लौटने की उम्मीद में उदास रहते हैं.
प्रशासनिक लापरवाही और सरकार की चुप्पी
सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि सतीश की मौत के बाद आज तक उनके परिवार को न तो उनकी मौत की सही वजह बताई गई और न ही सरकार द्वारा घोषित मुआवजा मिला. यहां तक कि सतीश का पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी अब तक उनके परिवार को नहीं सौंपी गई है. सतीश की पत्नी की खामोशी और आंसू सरकार से सवाल कर रहे हैं कि यह कैसी शराबबंदी है, जिसमें शराब बेचना और पीना गैरकानूनी है, फिर भी लोग आसानी से शराब पी रहे हैं और अपनी जान गंवा रहे हैं.
शराबबंदी कानून पर सवाल
बिहार में शराबबंदी कानून की सख्ती पर लगातार सवाल उठते रहे हैं. छपरा, गोपालगंज, और सिवान जैसी घटनाओं ने इस कानून की असलियत को उजागर किया है. यह दिखाता है कि सरकार इस कानून को सख्ती से लागू करने में नाकाम रही है. न तो शराब की बिक्री पूरी तरह रुकी है और न ही लोगों की जान बच पा रही है.
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FIRST PUBLISHED : October 20, 2024, 08:39 IST