आज रविवार के दिन पति की लंबी उम्र के लिए निर्जला उपवास रखा जाएगा। इस दिन महिलाएं दिनभर पानी की एक बूंद तक नहीं ग्रहण करती हैं। कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन करवा चौथ मनाया जाता है। करवा चौथ में करवा का अर्थ है टोंटी वाली मिट्टी का बर्तन और चौथ का अर्थ है चौथा। मिट्टी के बर्तन में महिलाएं चंद्रमा को जल चढ़ाती हैं। चंद्र दर्शन के बाद छलनी पर दीया रखकर चांद का दीदार किया जाता है। बहू जब व्रत करती हैं तो व्रत से पूर्व सास द्वारा सरगी देने की परंपरा है। आइए जानते हैं करवा चौथ पूजा की सही विधि व शुभ मुहूर्त-
कैसे करें करवा चौथ की पूजा, जानें करवा चौथ की सम्पूर्ण पूजा विधि
सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठ जाएं और स्नान आदि कर सूर्योदय से पहले सरगी का सेवन करें। देवी देवताओं को प्रणाम कर व्रत रखने का संकल्प लें। करवा चौथ मैं विशेष तौर पर संध्या पूजन की जाती है। शाम से पहले ही गेरू से फलक पूजा स्थान पर बना लें। फिर चावल के आटे से फलक पर करवा का चित्र बनाएं। इसके बजाय आप प्रिंटेड कैलेंडर का इस्तेमाल भी कर सकती हैं।
संध्या के समय शुभ मुहूर्त में फलक के स्थान पर चौक स्थापित करें। अब चौक पर भगवान शिव और मां पार्वती के गोद में बैठे प्रभु गणेश के चित्र की स्थापना करें। मां पार्वती को श्रृंगार सामग्री अर्पित करें और मिट्टी के करवा में जल भर कर पूजा स्थान पर रखें। अब भगवान श्री गणेश, मां गौरी, भगवान शिव और चंद्र देव का ध्यान कर करवा चौथ व्रत की कथा सुनें। चंद्रमा की पूजा कर उन्हें अर्घ्य दें। फिर छलनी की ओट से चंद्रमा को देखें और उसके बाद अपने पति का चेहरा देखें। इसके बाद पति द्वारा पत्नी को पानी पिलाकर व्रत का पारण किया जाता है। घर के सभी बड़ों का आशीर्वाद लेना न भूलें। साथ ही क्षमा याचना भी करें।
संध्या पूजन मुहूर्त: ज्योतिषचार्य विभोर इंदूसुत के अनुसार, आज करवा चौथ का उत्तम मुहूर्त शाम शाम 6 बजे से 8 बजे के बीच शुभ और अमृत चौघड़िया मुहूर्त रहने वाला है। वहीं, 7 बजकर 56 मिनट के बाद चंद्रोदय होने की संभावना जताई जा रही है, जिसके बाद चंद्र दर्शन कर चन्द्रमा को अर्घ्य देकर स्त्रियां अपने व्रत का पारण कर सकती हैं।
डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। विस्तृत और अधिक जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।