कार्तिक महीने का हिन्दू धर्म में खास महत्व है। ये महीना 18 अक्टूबर शुक्रवार से शुरू हो चुका है। कार्तिक मास में करें भगवान विष्णु की आराधना करने से सुख-संपदा बनी रहती हैं। इस दौरान दान, स्नान, व्रत और पूजा-पाठ का विशेष महत्त्व होता है। कार्तिक माह शरद पूर्णिमा से शुरू होकर कार्तिक पूर्णिमा, देव दीपावली पर खत्म होता है। शास्त्रों के अनुसार, कार्तिक स्नान से पूर्व जन्मों के पाप समाप्त हो जाते हैं और अनंत पुण्य मिलता है। आइए जानते हैं कार्तिक महीने में क्या करना चाहिए और क्या नहीं-
कार्तिक माह में क्या करें और क्या नहीं?
- कार्तिक महीने के दौरान सूर्य उपासना विशेष फलदायी मानी जाती है। भगवान सूर्य को रोजाना अर्घ्य दें।
- कार्तिक महीने में दान करना भी लाभकारी है।
- इस महीने दीपदान का भी खास विधान है। दीपदान मंदिरों, नदियों में भी किया जाता है।
- इस महीने ब्राह्मण भोजन, गौदान, तुलसी दान, आंवला दान तथा अन्न दान का विशेष महत्व बताया गया है।
- तुलसी जी भगवान विष्णु की प्रिया हैं। तुलसी की पूजा कर भक्त भगवान विष्णु को प्रसन्न कर सकते हैं। इसलिए श्रद्धालु विशेष रूप से तुलसी की आराधना करते हैं। तुलसी के पौधे का कार्तिक महीने में दान भी दिया जाता है। तुलसी के पौधे के पास सुबह-शाम दीपक जलाएं।
- कार्तिक महीने में दान, पूजा-पाठ तथा स्नान का बहुत महत्व होता है तथा इसे कार्तिक स्नान की संज्ञा दी जाती है। स्नान सूर्योदय से पूर्व किया जाता है। स्नान कर पूजा-पाठ को खास अहमियत दी जाती है। साथ ही देश की पवित्र नदियों में स्नान का खास महत्व होता है। इस दौरान घर की महिलाएं नदियों में ब्रह्म मूहुर्त में स्नान करती हैं।
कार्तिक माह में क्या न करें: सनातन धर्म में इस महीने में कुछ परहेज बताए गए हैं। कार्तिक स्नान करने वाले श्रद्धालुओं को इसका पालन भी करना चाहिए। मान्यताओं के अनुसार, इस मास में धूम्रपान निषेध होता है। लहुसन, प्याज और मांसाहार का सेवन भी वर्जित होता है। इस महीने में भक्त को बिस्तर पर नहीं सोना चाहिए। उसे भूमि शयन करना चाहिए। दोपहर में सोना भी अच्छा नहीं माना जाता है।
डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। विस्तृत और अधिक जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।