बिहार कोकिला शारदा सिन्हा की प्रख्यात गायिका बेगम अख्तर ने की थी तारीफ. HMV ऑडिशन में बेगम अख्तर से मिली शाबासी ने बदल दिया शारदा का जीवन. गायिका बेगम अख्तर ने शारदा सिन्हा की थपथपाई थी पीठ, दिया था खूब आशीर्वाद.
पटना. लोक गायिका शारदा सिन्हा की संगीत यात्रा बचपन से ही शुरू हो गई थी. पिता के संरक्षण से जब वह आगे बढ़ीं तो इसके बाद ससुराल में उन्हें कुछ कठिनाइयों का सामना करना पड़ा. लेकिन, पति ब्रज किशोर सिन्हा ने उनका भरपूर साथ दिया और आज उनके बेशुमार लोकगीतों के रंग बॉलीवुड समेत पूरे देश को मन मस्तिष्क में घुल रहे हैं. शारदा सिन्हा के गाये छठ के गीत और यह पावन त्योहार एक दूसरे के पर्याय से बन गए हैं. शारदा सिन्हा की संगीत यात्रा में संघर्षों और सफलताओं के कई पड़ाव हैं. इसी क्रम में एक किस्सा विश्वविख्यात बेगम अख्तर से भी जुड़ता है जिनकी स्नेह भरी एक थपथपी ने शारदा सिन्हा के हौसले को इतना ऊंचा कर दिया कि वह शोहरत की बुलंदियों पर ताउम्र रहीं. आइये यह किस्सा जानते हैं कि आखिर कैसे शारदा सिन्हा रिजेक्ट हुईं और इसके बाद दोबारा ऑडिशन और फिर बेगम अख्तर की शाबासी मिली.
यह किस्सा शारदा सिन्हा के जीवन के शुरुआती समय का है जब वह संघर्ष के दौर से गुजर रही थीं. इस दौरान उनके पति ब्रज किशोर सिन्हा उनके हर कदम पर साथ थे. शारदा सिन्हा ने एक इंटरव्यू में बताया था कि इस दौर में एचएमवी कंपनी एक प्रतियोगिता का आयोजन करवाती थी, जिसमें प्रतिभाशाली गायक गायिकाओं का सिलेक्शन कर उन्हें प्रमोट किया जाता था. कलाकारों को पुरस्कार दिया जाता था. शारदा सिन्हा को भी जब इस बात का पता लगा कि अखबारों में विज्ञापन निकाला है तो उन्होंने भी अपने पति के सामने इच्छा जताई. पति ब्रज किशोर सिन्हा ने पत्नी शारदा सिन्हा का मन रखा और इसमें पार्टिशिपेसन के लिए प्लान बनाया.
लखनऊ में इस प्रतियोगिता के ऑडिशन का आयोजन किया गया था. शारदा सिन्हा अपने पति के साथ लखनऊ पहुंचीं तो थोड़ा पसोपेश में थीं. दरअसल, अक्सर ऑडिशन मुंबई में हुआ करता था, लेकिन तब एचएमवी ने एक नया प्रयोग किया था और चलता फिरता स्टूडियो लेकर क्षेत्रवार टैलेंट का सर्च कर रहा था. इसी क्रम में यह ऑडिशन लखनऊ में आयोजित था. शारदा सिन्हा जब लखनऊ पहुंचीं तो ट्रेन से उतरने के बाद सीधे विधानसभा मार्ग में बर्लिंगटन होटल पहुंचीं जहां इस ऑडिशन का आयोजन था. वहां 11 नंबर कमरे में एचएमवी ने अपना स्टूडियो लगाया था. लेकिन, शारदा सिन्हा वहां का दृश्य देखकर परेशान हो उठीं. लगातार कलाकारों को रिजेक्ट किया जा रहा था, डिसक्वालिफाई किया जा रहा था. इसी दौरान शारदा सिन्हा का भी ऑडिशन हो गया और उनको भी डिसक्वालिफाई कर दिया गया.
शारदा सिन्हा को जब डिसक्वालिफाई किया गया तो वह बहुत दुखी हो गईं. फिर विचार किया कि वापस लौटते हैं. लेकिन पति ने हौसला दिया और दोनों ने मिलकर यह निर्णय लिया कि एक बार ऑडिशन के लिए और प्रयास करते हैं. फिर उन्होंने ऑडिशन का जिम्मा मुरली मनोहर स्वरूप जी संभाल रहे थे. शारदा सिन्हा और उनके पति ने मिलकर आग्रह किया कि एक और मौका दे दीजिए. मरली मनोहर स्वरूप जी उनकी बात सुनकर कन्विंस हुए और शारदा सिन्हा को ईश्वर की कृपा से एक और मौका मिल गया. इसी दौरान वह हुआ जो शारदा सिन्हा के लिए स्मरणीय हो गया और वह इसी प्रेरणा से आगे बढ़ती गईं.दरअसल, जिस दिन इन्होंने ऑडिशन दिया उस समय ऑडिशन बूथ पर प्रख्यात गायिका बेगम अख्तर बैठी हुई थीं. उन्होंने शारदा सिन्हा के गाये गीत सुने तो बुलाया और उनकी पीठ थपथपाई. इसके बाद शारदा सिन्हा को बेगम अख्तर ने आशीर्वाद दिया. अपने इंटरव्यू में शारदा सिन्हा ने बताया है कि बेगम अख्तर ने उन्हें कहा कि तुम्हारी आवाज बहुत अच्छी है, तुम रियाज करोगी तो बहुत आगे जाओगी. शारदा सिन्हा ने बताया कि बेगम अख्तर का पीठ थपथपाना उनके लिए प्रेरणा का काम किया और किसी भी वक्त उन्होंने अपने हौसले को कम नहीं होने दिया.
शारदा सिन्हा का ऐसा मानना था कि करियर की परीक्षा में वह पास हो गईं और इस मुलाकात के बाद ही उनका जीवन बदल गया. जाहिर है कि शारदा सिन्हा आज जिस मुकाम पर पहुंचीं उसमें बेगम अख्तर की इस थपथपी का भी बड़ा योगदान रहा है. बता दें कि लोकगीतों में अपने अतुलनीय योगदान के लिए उन्हें 1991 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया था. वहीं 2018 में भारत सरकार ने उन्हें पद्म भूषण से नवाजा. इसके अलावा दुनियाभर में बिहार का नाम ऊंचा करने वाली शारदा सिन्हा को संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार भी दिया गया.
Tags: Bihar latest news, Bihar News, PATNA NEWS
FIRST PUBLISHED : November 6, 2024, 12:07 IST