गया/जहानाबाद : बिहार में चार सीटों पर हो रहे विधानसभा उपचुनाव में गया की बेलागंज सीट पर मुकाबला रोचक हो गया है. यहां मुकाबला त्रिकोणीय होने के आसार हैं. इस सीट पर यादव और मुस्लिम वोटर्स निर्णायक की भूमिका में हैं इसलिए मुकाबला रोचक हो गया है क्योंकि राजद के समीकरण को साधने के लिए जदयू ने यादव कैंडिडेट को उतारा है. वहीं जन सुराज पार्टी ने यहां से मुस्लिम कैंडिडेट को अपना प्रत्याशी बनाया है, जिससे राजद के माय समीकरण को ध्वस्त किया जा सके. हालांकि, अब परिणाम क्या होगा यह तो 23 नवंबर को वोटों की गिनती के बाद सब तय हो जाएगा.
ऐसे में वोटिंग से बेलागंज की जनता का मिजाज क्या है और वो किस मुद्दे पर वोट करना चाहती है, उसे जानने के लिए लोकल 18 की टीम बेलागंज विधानसभा क्षेत्र पहुंची और इस क्षेत्र के सिलौंजा गांव में मौजूद लोगों से विभिन्न मुद्दों पर बात की. इस दौरान यहां के लोगों ने बताया कि यहां तो विकास का मुद्दा हावी है. हमलोग इस बार बदलाव चाहते हैं. यहां पर 34 साल तक राजद नेता सुरेंद्र यादव विधायक रहे, लेकिन विकास कुछ नहीं हो पाया है. पूरे क्षेत्र में सड़क, नाली और गली की भारी समस्या है. इसके अतिरिक्त यहां किसानों के लिए सिंचाई की सुविधा नहीं है. प्रत्याशी अच्छा नहीं मिल रहा था इस कारण ये जीत रहे थे. इस बार खेल बदलेगा.
‘यहां सिर्फ समस्या ही समस्या है…’
पटना गया डोभी फोर लेन पर स्थित गांव सिलौंजा में मौजूद स्थानीय बुजुर्ग मुख्तार शर्मा ने बताया कि यहां पर माहौल इस बार बदला बदला है. यहां 34 साल में कोई विकास नहीं हुआ है. यहां सड़क, नाली और अहरा की सुविधा शून्य है. विकास नहीं करने के कारण हम शुरू से ही इनके खिलाफ थे. सुरेंद्र यादव से नाराजगी के सवाल पर कहा कि कुछ किया ही नहीं, इस कारण भारी नाराजगी है. वहीं, एक अन्य स्थानीय अमरेश कुमार बताते हैं कि इस बार बेला का माहौल एकतरफा है. यहां से मनोरमा लीड कर रही हैं. इस बार की लड़ाई जदयू और जन सुराज के बीच है. वहीं, सुरेंद्र यादव तीसरे नंबर पर रहने वाले हैं.
‘लोहा लोहा को काटता है…’
बेला के स्थानीय रबीश कुमार ने Local 18 को बताया कि इस बार सुरेंद्र यादव की नैय्या डूबने वाली है. यहां की जनता कह रही है कि पिताजी को प्रणाम किए तो बेटा को भी प्रणाम करेंगे, ये सब अब नहीं चलने वाला है. उन्होंने 34 साल तक जो राज किया वो सिर्फ पैसे के बदौलत में किया. कोई ऐसा कैंडिडेट नहीं आ रहा था कि इनसे टकरा जाए. हालांकि, इस बार बेहतर कैंडिडेट हैं और कहा जाता है कि लोहा लोहा को काटता है, यही है.
चन्दन बताते हैं कि यहां राजद का माय समीकरण अब टूट चुका है. इसे तोड़ने में सबसे ज्यादा हाथ जान स्वराज पार्टी का है. क्या कुछ समस्याएं हैं इस सवाल पर उन्होंने कहा कि यहां तो समस्याओं ही समस्या है. हमारे मुख्य शहर बेला में ना शौचालय के सही व्यवस्था है यहां पर आहर का काम शिथिल पड़ा हुआ है. शहर में जाम की भी समस्या है.
34 साल में कोई विकास नहीं किया
पंकज शर्मा बताते हैं कि इस बार सुरेंद्र यादव के जीत का राह आसान नहीं है. क्योंकि जदयू की ओर से जो प्रत्याशी मैदान में हैं वो उनको टक्कर के लायक हैं. कहा जाता है न कि लोहा को लोहा काटता है वहीं प्रत्याशी इस बार बेला में है. हमें यह दुख होता है की 34 साल तक उन्हें विधायक के पद पर बैठाए रहा लेकिन लेकिन यहां की जनता के लिए उन्होंने कोई काम नहीं किया. इससे लोगों में खासी नाराजगी है. कुछ कुछ साल पहले यहां पर लोग शाम में घर से बाहर नहीं निकलते थे. अब स्थिति सुधरी है. स्थानीय बैजू शर्मा ने कहा कि इस बार बदलाव जरूरी है. क्योंकि 34 साल में कोई काम ही बेला में नहीं हुआ है.
विकास 2025 में देखेंगे पहले बदलाव जरूरी
टिंकू शर्मा बताते हैं कि यहां पर माहौल एकतरफा है. जन सुराज के प्रत्याशी पर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि जिस काम के लिए उन्हें मैदान में खड़ा किया गया है वो वही करेंगे. वो भी इस मैदान के एक पहलवान हैं. हम लोग विकास की बातें 2025 विधानसभा में करेंगे, लेकिन अभी बदलाव की जो जिद्द है, उसे पहले पूरा करेंगे.
स्थानीय प्रवीण बताते हैं कि इस चुनाव में मनोरमा देवी लीड कर रही हैं. मनोरमा देवी सुरेंद्र यादव को मैदान में पानी पिला दिए हैं. नीरज शर्मा ने कहा कि हमलोग जब से जन्म लिए हैं तब से आज तक उन्हीं को विधायक के रूप में देखते आ रहे हैं. ऐसे में आज का जनरेशन कुछ नया की चाहत में है. क्योंकि आज के लोग चाहते हैं कि कुछ नया मिले. इसलिए बदलाव होना जरूरी है.
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FIRST PUBLISHED : November 8, 2024, 09:18 IST