Cheteshwar Pujara News: भारत-ऑस्ट्रेलिया बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी का जुनून लोगों में सर चढ़कर बोल रहा है. ऐसा होना लाजमी भी है क्योंकि ऑस्ट्रेलियाई सरजमीन पर भारत बैक-टू-बैक दो टेस्ट सीरीज जीत चुका है. अब तीसरी सीरीज का पहला मुकाबला भी जसप्रीत बुमराह की कप्तानी वाली टीम ने अपने नाम कर लिया है. पिछली दो टेस्ट सीरीज के हीरो चेतेश्वर पुजारा इस वक्त कमेंट्री बॉक्स में मौजूद हैं और फैन्स का जमकर मनोरंजन भी कर रहे हैं. ये पुजारा ही थे जब अजिंक्य रहाणे की कप्तानी वाली एक अनुभवहीन टीम ऑस्ट्रेलिया पहुंची तो वो भारत की जीत के नायक बनकर उभरे थे. पुजारा ने ब्रिसबेन की उछाल भरी पिच पर कंगारू गेंदबाजों की घातक गेंदबाजी को अपने शरीर पर खाया और ऋषभ पंत के साथ मिलकर करीब 30 साल बाद गाबा का घमंड तोड़ने में अहम भूमिका निभाई थी.
भारतीय टीम में नई ‘द वॉल’ बनकर उभर चुके चेतेश्वर पुजारा का निजी जीवन कम चुनौतियों से भरा नहीं रहा. मध्यम वर्गीय परिवार से आने वाले पुजारा ने माता-पिता की मदद से सभी चुनौतियों का सामना किया और खूब नाम कमाया. पुजारा के पिता एक क्रिकेट कोच ही हैं. एक वक्त था जब पिता पुजारा को टेनिस बॉल से खेलने नहीं देते थे. दरअसल, वो नहीं चाहते थे कि कम उम्र में बेटा टेनिस बॉल से क्रिकेट खेलकर अपने गेम को पूरी तरह से खराब कर ले. क्रिकबज के शो स्पाइसी पिच में पुजारा ने बताया, ‘जब मैं चार-पांच साल का था तब पुराने घर के पास पेड़ के नीचे खेला करते थे. टेनिस बॉल से खेलने के लिए पिता ने एक बैट ले दिया था. आठ साल की उम्र में मैंने पापा के साथ क्रिकेट की प्रैक्टिस करना शुरू किया. उसके बात पिता ने साफ कर दिया कि अब टेनिस बॉल से कोई क्रिकेट नहीं होगा.’
कांच टूटने के डर से सीखे ग्राउंड शॉट!
पुजारा ने बताया, ‘यहां पुराने घर के पास बच्चे क्रिकेट खेलते थे, लेकिन मुझे इजाजत नहीं थी. पापा ऑफिस चले जाते थे तो मैं पीछे से निकल जाता था खेलने और थोड़ी बहुत विकेटकीपिंग कर लेता था.’ पुजारा तब भी यहां ग्राउंड शॉट ही खेला करते थे क्योंकि हवाई शॉट खेलने पर पड़ोसियों के शीशे फूटने का डर था. ऐसे में अगर पिता को पता चल जाता तो बचपन वाला क्रिकेट छूटने का डर था. फैन्स पुजारा को ग्राउंड शॉट के माध्यम से विरोधी टीम को छकाने के लिए जाने जाते हैं.
मां ने किश्तों पर दिलाया बेटे को बल्ला
चेतेश्वर पुजारा ने एक मध्यम वर्गीय परिवार से आकर क्रिकेट के क्षेत्र में खूब नाम कमाया. तब पिता पर घर चलाने के साथ-साथ पुजारा के खेल पर फोकस करने की दोहरी जिम्मेदारी थे. उस वक्त नन्हे पुजारा को प्रोफेशनल बैट दिलाने के भी परिवार के पास पैसे नहीं थे. तब उस जमाने में मां ने किश्तों पर बेटे के लिए 1500 रुपये की भारी-भरकम कीमत वाला बल्ला चेतेश्वर पुजारा के लिए खरीदा. पुजारा ने बताया कि बचपन में जो पैड वो पहना करते थे, वो मां ने खुद अपने हाथों से बनाए थे. उनका कहना था कि बाजार में मिलने वाले पैड उनके शरीर के हिसाब से कंफर्टेबल नहीं थे. ऐसे में मां ने बेटे की इस तकलीफ को खत्म करने के लिए अपने हाथों से उसके लिए पैड बना डाले.
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FIRST PUBLISHED : November 29, 2024, 13:12 IST