पूर्णिया जिले के जलालगढ़ खंड के दनसार गांव के किसान पुजारी कुमार कुशवाहा ने बिना रासायनिक उत्पादों और रसायनों के सामुहिक निर्माण का एक नमूना बनाया है। उन्होंने खेती के पारंपरिक तरीके निकाले, जिससे न केवल उनकी फसल स्वादिष्ट होती है, बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी होती है।
स्वाद का राज: पिता से मिली प्रेरणा
शिष्यों ने कहा कि एक दिन उन्होंने अपने पिता से पूछा कि पहले के समय का स्वाद अब क्यों नहीं। उनके पिता ने कहा था कि पहले किसान बिना रासायनिक खाद और मसाले की खेती करते थे, जिससे अनाज और मसाला ताजगी और पोषण की समानता होती थी। यही बात उनके मन में घर कर गई और उन्होंने शॉपिंग फॉर्मिंग की शुरुआत की।
2008 से कर रहे सिलाई फार्मिंग
मार्केटप्लेस 2008 से सिलाई फार्मिंग कर रहे हैं और अब तक उन्हें कई सकारात्मक परिणाम मिले हैं। पहले वे खेती करते थे, लेकिन लागत अधिक होने के कारण उन्होंने खेती की ओर रुख किया। इस विधि में वे स्पाइक (एसपीके) मॉडल का उपयोग किया जाता है, जिसमें देसी गाय के गोबर और गोमूत्र से तैयार खाद का उपयोग किया जाता है।
जीवामृत का उपयोग: स्वास्थ्य और मुनाफ़ा का राज
जीवामृत का विशेष महत्व है। इसे तैयार करने के लिए 200 लीटर पानी में 10 किलो देसी गाय का गोबर, 5 किलो गोमूत्र, 2 किलो गुड़, 1 किलो बेसन और बरगद या पीपल के पेड़ की जड़ की मिट्टी मिलती है। 48 घंटे में यह मिश्रण तैयार हो जाता है, जिसमें बीज तैयार किया जाता है।
कम लागत, अधिकतम लाभ
विद्यार्थी हैं कि एक देसी गाय के गोबर से वे 10 ओकरे तक की खेती कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि उनके एक नटखट खेत से ही उन पर दो लाख रुपये का उत्खनन होता है। वे चार बच्चों की उच्च शिक्षा का खर्च भी खेती से लेकर घर तक हैं।
स्वास्थ्य लाभ और गुणवत्ता
किसान विश्विद्यालय के अनुसार, खेती से जुड़ी फसलें पोषण से भरपूर हैं और स्वाद उत्पादों के रूप में पुराने जमाने के खाद्य पदार्थ मौजूद हैं। इस पद्धति से मक्का, मीट, साग-सब्जियां और अनाज जैसी फसलें आसानी से उगाई जा सकती हैं।
पुराने जमाने की नई तकनीकों का महत्व
आयशर ने बताया कि रासायनिक खादों के बढ़ते उपयोग का कारण बीजाणु का स्वाद और स्वाद प्रभावित हुआ है। उन्होंने स्पके मॉडल के जरिए पुराने स्वाद को फिर से पाने का प्रयास किया है। उनका विश्वास है कि थोक फार्मिंग ही एकमात्र तरीका है जिससे स्वास्थ्य, स्वाद और मुनाफा का अद्वितीय बैलेंस बैलेंस रखा जा सकता है।
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पहले प्रकाशित : 2 दिसंबर, 2024, 23:58 IST