शिक्षा व रोजगार : संवत का भले आप बहुत ज्यादा इस्तेमाल नही करते होंगे लेकिन कैलेंडर का इस्तेमाल किये बिना आप अपने जीवन को सही रूप में जीने की कल्पना नही कर सकते हैं। लेकिन क्या आप संवत और कैलेंडर के इतिहास को जानते हैं? क्या आप जानते हैं की कैलेंडर का विकास कैसे हुआ? क्या आप जानते हैं संवत कितने हैं? संवत की शुरुआत कब किसने और क्यों किया? तो चलिए आज इस पोस्ट के माध्यम से इसे जानने का प्रयाश करते हैं ।
संवत का इतिहास
विक्रम संवत : विक्रम संवत की शुरुआत चंद्रगुप्त विक्रमादित्य ने की थी। (चंद्रगुप्त विक्रमादित्य वही विक्रम हैं जिसकी कहानी आप बचपन में विक्रम वैताल के रूप में सुने होंगे।) विक्रम संवत की शुरुआत 57 ईसा पूर्व में शकों (शक वंश वही शक हैं जिसने शक संवत की शुरुआत की थी) को हराने के बाद शुरू किया गया था, विक्रम संवत को नेपाल में भी मान्यता दी जाती है।
शक संवत : शक संवत की शुरुआत कुषाण वंश के राजा कनिष्क ने 78 ईस्वी में की थी, राजा कनिष्क के राज्याभिषेक से शक संवत प्रारम्भ हुआ, यह चंद्र-सौर गणना पर आधारित कैलेंडर है, शक संवत को भारत का राष्ट्रीय कैलेंडर 22 मार्च, 1957 को अपनाया गया था। शक संवत को सरकारी रूप से अपनाने की वजह यह बताई जाती है कि प्राचीन लेखों और शिलालेखों में इसका ज़िक्र मिलता है.
शक संवत का इस्तेमाल हिंदू पंचांग, भारतीय राष्ट्रीय कैलेंडर, और कंबोडियाई बौद्ध पंचांग में किया जाता है, शक संवत के साल का पहला महीना चैत्र होता है, जो 22 मार्च से शुरू होता है, शक संवत के साल का हर दिन ग्रेगोरियन कैलेंडर की तारीख से जुड़ा होता है।
24 सितम्बर 622 ई० को हिजड़ी संवत की शुरुआत हज़रत मोहम्मद साहब के मक्का से मदीना प्रवास करने की घटना से जुड़ी हुई है. इसे हिजरा भी कहा जाता है, ऐसा माना जाता है कि दूसरे खलीफ़ा उमर इब्न अल-खत्ताब ने 639 ईस्वी में हिजरी संवत को मान्यता दी थी (इस्लाम धर्म के धर्मगुरुओं को खलीफा कहा जाता है)
वल्लभी संवत : वल्लभी संवत, पश्चिमी भारत के सौराष्ट्र क्षेत्र में इस्तेमाल होने वाला एक ऐतिहासिक कैलेंडर युग था, यह गुप्त युग के समान था, वल्लभी संवत की शुरुआत 318–319 ईस्वी में हुई थी। वल्लभी, प्राचीन भारत का एक शहर था, जो 5वीं-8वीं शताब्दी ईस्वी में मैत्रक वंश की राजधानी था।
शनिवार 01 जनवरी 0001 से 57 वर्ष पहले विक्रम संवत, शनिवार 01 जनवरी 0001 से 78 वर्ष बाद शक संवत प्रारम्भ हुआ इसलिए दोनों में लगभग 135 वर्ष का अंतर है। 01 जनवरी 0001 से 319 वर्ष बाद वल्लभी संवत, वही हिजरी संवत की बात की जाय तो शनिवार 01 जनवरी 0001 से 622 वर्ष बाद हिजड़ी संवत की शुरुआत हुई थी इस तरह हिजड़ी संवत शक संवत से 700 वर्ष और विक्रम संवत से 757 वर्ष पीछे है। वल्लभी संवत से हिजड़ी संवत 303 वर्ष पीछे है।
आज की तारीख की बात करें तो विक्रम संवत के लिए इसमें 57 वर्ष जोड़ कर निकाल सकते हैं, शक संवत के लिए 78 वर्ष घटा कर निकाल सकते हैं, वल्लभी संवत में 319 वर्ष घटा कर निकाल सकते हैं और हिजड़ी संवत के लिए 622 वर्ष घटा कर निकाल सकते हैं।
- विक्रम संवत में अभी वर्ष 2081 चल रहा है।
- शक सम्वत में वर्ष 1946 चल रहा है।
- वल्लभी सम्वत में वर्ष 1705 चल रहा है
- और हिजरी सम्वत में वर्ष 1402 चल रहा है।
कैलेंडर का इतिहास
कैलेंडर के इतिहास में सबसे पहले रोमन कैलेंडर प्रचलित था, प्राचीन रोम में समय मापने की प्रणाली थी. यह सदियों से कई बार बदला और संशोधित किया गया था. रोमन कैलेंडर से जुड़ी कुछ खास बातेंः रोमन कैलेंडर चंद्र और सौर चक्र दोनों पर आधारित था, रोमन कैलेंडर में कई बदलाव किए गए थे। जूलियन कैलेंडर में 365 दिन होते थे और हर चार साल में एक अतिरिक्त दिन यानी लीप ईयर जोड़ा जाता था, जूलियन कैलेंडर 1,600 सालों तक सबसे सटीक कैलेंडर था, साल 1582 में जूलियन कैलेंडर की जगह ग्रेगोरियन कैलेंडर आ गया।
रोमन कैलेंडर के बाद जूलियन कैलेंडर को सार्वभौमिक रूप से तिथि और वर्ष की गणना के लिए उपयोग में लाया जाता रहा तो आइये जानते हैं, जूलियन कैलेंडर से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें : रोमन सम्राट जूलियस सीज़र ने 46 ईसा पूर्व में रोमन कैलेंडर को बदलकर जूलियन कैलेंडर की शुरुआत की थी, जूलियन कैलेंडर को सूर्य के चारों ओर पृथ्वी की गति के आधार पर बनाया गया था, इस कैलेंडर में 365 दिन होते थे और हर चार साल में एक लीप ईयर होता था, जूलियन कैलेंडर को ‘पुरानी शैली’ कैलेंडर भी कहा जाता था, जूलियन कैलेंडर में साल का पहला महीना मार्च और आखिरी महीना फ़रवरी था।
लेकिन जब ग्रेगोरियन कैलेंडर आया तो लोग ग्रेगोरियन कैलेंडर का इस्तेमाल करने लगे क्योंकि जूलियन कैलेंडर में कुछ त्रुटियाँ थी, ग्रेगोरियन कैलेंडर को बनाने में 11 मिनट का अंतर या 11 मिनट की भूल हो गई थी, जिसके कारण 1582 ई० में पोप ग्रेगरी XIII के द्वारा बनाया गया ग्रेगोरियन कैलेंडर ने जूलियन कैलेंडर का स्थान ले लिया, ग्रेगोरियन कैलेंडर में 365 दिन, 5 घंटे और 49 मिनट के साल होते हैं, हालांकि ग्रेगोरियन कैलेंडर में भी 26 सेकेंड का अंतर है, चुकी 26 सेकेंड का समय 11 मिनट से बहुत कम समय है इसलिए ग्रेगोरियन कैलेंडर को दुनिया के ज़्यादातर हिस्सों में इस्तेमाल किया जाता है, कुछ रूढ़िवादी लोग और चर्च अभी भी संशोधित जूलियन कैलेंडर का इस्तेमाल कर रहे हैं।