अजब गजब शिवहर जिले के लोग आज भी बाढ़ की त्रासदी को झेल रहे हैं, जबकि, बाढ़ को तीन महीने बीत चुके हैं। लेकिन, यहां के लोग आज भी इसका दुखद अनुभव कर रहे हैं। लोगो का कहना है कि सरकार द्वारा दी गई फाइल भी फटी हुई है। रात को सांप, बिच्छू सहित अन्य गार्डन-मकौडों के बीच रात का गुज़ारा काफी मुश्किल हो गया है। गर्मी में रातें कट जाती हैं, अब ठंड का एहसास ले रही है। सोना चाहते हैं, लेकिन ठंड में कंपाते हैं। बच्चों को असमंजस की चिंता बनी रहती है। 29 सितम्बर को ज्वालामुखी के बाद 3900 लोग मारे गये थे।
बाढ़ का पानी गिरने के बाद लोग घर छोड़ देते हैं, अब भी 50 से अधिक परिवार आश्रम में रहने को मजबूर हैं। ठंड से बचने के लिए पुराने कपड़े और साड़ी को टांगकर रह रहे हैं। बाढ़ की तबाही और व्यवस्था की बेपरवाही के बीच ठंड की मार से बाजार जिंदगी ठिठुर रही है। यह खंडहर शिवहर जिले के तरियानी चित्रालय की है, जहां 29 सितंबर को चट्टान टूट गई थी, जिसके बाद बाढ़ में डूबे तालाब पर जीवन तो जी रहे, लेकिन जीवन वीरान है। स्थानीय 18 की टीम के निर्माण पर लोगों से बात की गई, जहां बाढ़ से बने लोगों ने अपना दर्द बताया।
बाढ़ से गंभीर स्थिति, अब तक घर में पानी
लोगों को पता चला कि उन्हें मधुमेह के दौरान जीवन भर बचा तो लिया गया, लेकिन अब उन्हें पेट में दर्द हो गया है। घर में अब तक पानी है और आधा घर टूटकर गिर गया है, पानी निकल नहीं रहा है। प्रशासन द्वारा जल निकासी का कोई प्रयास नहीं किया जा रहा है। ठंड का मौसम है, बाकी जगहों पर अभी भी पानी है। प्रशासन को कम से कम पानी निकालना चाहिए, ताकि ठंड में लोगों को छत मिल सके। सुगिया देवी का कथन है कि जब कुछ दिन तक भोजन मिला, तो सिर धोने के बाद प्लाथिन मिल गई, वह अब मोटी हो गई है। पुराने पुरावशेषों से पॉलीथिन को ढककर बच्चों सहित परिवार के लोग रात काटते थे।
रिवायत में है मोही
बाढ़ की विभीषिका के बाद भी सरकारी लाभ नहीं मिल रहा है, उदाहरण में मोही है, विशेषज्ञ पर सलाह दी जाती है। वहीं, ठंड के इस मौसम में बच्चों सहित पूरे परिवार का बचाव भी शामिल है। लोगों को मिल पॉलीथिन करीब 80 दिन बाद चिथड़े में बदल दिया गया। काम के लिए लोगों ने फटे-पुराने कपड़े और घास-पात दाल रखे हैं। फिर भी इसके ओस की बौछारें और तेज हवाएं चिथड़ों को भेदकर अंदर तक पहुंच रही हैं। पहले बाढ़ ने यहां के लोगों की खुशहाली से लेकर उनकी गलतियां की हरित तक बहा दी। अब अरमानों केट-टुकड़े कर रही है।