राष्ट्रीय : अगर आपमें कुछ करने की ललक और जज्बा हो तो कोई भी चीज हासिल की जा सकती है। ऐसी ही एक कहानी है, जो अपनी मेहनत और लगन से बड़ी उपलब्धि हासिल करती है। वह पिछले 13 वर्षों से असम राइफल्स में सैनिकों के पद पर थे, लेकिन अब असम राइफल्स में मेमोरियल कमांडेंट बन गये हैं। उन्होंने 14 दिसंबर 2024 को इंडियन जनरल एकेडमी (आईएमए) में स्थित रॉयल्टी पासिंग आउट परेड में भाग लिया और स्पेशल कमीशन पास कर यह गौरव हासिल किया। इनका नाम अब्दुल्ला सिंह कंडारी है.
पिता भी असम राइफल्स का हिस्सा रहे हैं
बादाम सिंह कंडारी उत्तराखंड के शमीम जिले के गौचर के रानीगढ़ क्षेत्र के दुवा गांव के निवासी हैं। उनके पिता मदन सिंह कंडारी असम राइफल्स के सेंचुरी के पद से सेवानिवृत्त हो गये। पिता की नौकरी के अलाउद्यम की शिक्षा असम, नागालैंड और विश्वविद्यालयों में पूरी तरह से हुई। उन्होंने हाई स्कूल से ग्रेजुएशन तक की पढ़ाई कहीं से की। सेना में अपने परिवार की परंपरा की सेवा करना शामिल है। बादाम की इस उपलब्धि से उनके गांव दुवा और परिवार में खुशी की लहर है। उनकी मां शांता देवी और पत्नी, शंका देवी, गृहिणी हैं। वर्तमान में उनका परिवार कार्यालय रायपुर क्षेत्र में रहता है।
कर्तव्य के साथ की पढ़ाई
असम राइफल्स में जवानों के पद पर बने हुए अलास्का ने अपनी ड्यूटी के साथ ऑफिसर स्पेशल कमीशन की परीक्षा पास की। यह उनकी कड़ी मेहनत और करतबों का नतीजा है कि अब उन्हें असम राइफल्स में नामांकित कमांडेंट के रूप में नियुक्त किया गया है। गौचर के बेटे अलाउद्दीन सिंह कंडारी की सेना में अधिकारी बनने से न केवल उनका परिवार बल्कि पूरे क्षेत्र को गर्व महसूस हो रहा है। उनकी यह उपलब्धि युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है।