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शिक्षा व रोजगारक्या है नारसिसिजम और इकोइस्ट ?

क्या है नारसिसिजम और इकोइस्ट ?

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मनोविज्ञान में अग्रेजी में टर्म है : “Narcissist” जिसका हिन्दी मतलब होता है “आत्ममुग्ध”
सीधे शब्दों में समझें तो वैसे व्यक्ति को आत्ममुग्धता का शिकार कह सकते हैं जिसमें आत्म-महत्व की अतिशय भावना, दूसरों के प्रति सहानुभूति का अभाव, अत्यधिक प्रशंसा की चाहत व मन में यह विश्वास कि वे अद्वितीय हैं और विशेष व्यवहार के हकदार हैं।

आत्ममुग्ध व्यक्ति में महानता और श्रेष्ठता की भावना होती है, वह अपनी ज़रूरतों को दूसरों से ऊपर रखता है, उसे सामाजिक हलकों में प्रशंसा और ध्यान चाहिए होता है, वह दूसरों के प्रति सहानुभूति नहीं दिखाता, वह व्यक्तिगत लाभ के लिए दूसरों का शोषण करता है, वह अभिमानी या भव्य व्यवहार करता है। सरल भाषा में उसे अति अभिमानी या अति घमण्डी कहा जा सकता है।

दूसरा शब्द है Echoist : जिसका मतलब है कमजोर
सीधे शब्दों में वैसे लोग जो चुपचाप और बिना कुछ बोले तिरस्कार को झेलते रहते हैं, अपनी इच्छाओं या ज़रूरतों को व्यक्त करने के बजाय दूसरों की भावनाओं और ज़रूरतों को चुपचाप पूरा करते हैं, टॉक्सिक रिश्तों को झेलते हैं दुख और पीड़ा को पी जाते हैं ऐसे लोगों को Echoist कह सकते हैं।

इस तरह Narcissist से बना है Narcissism और Echoist से बना है Echoism

आपके मन में यह सवाल होगा कि, यह टर्म या इतना खतरनाक शब्द आया कहाँ से?

तो आइये जानने का प्रयाश करते हैं, जानकर आपको भी बहुत मजा आएगा।

इसको समझने के लिए आज से लगभग 2030 वर्ष पीछे जाना होगा, 14 से 27 ईस्वी पूर्व के आसपास सीजर ओगेस्टउस के समकालीन ‘ओविड’ नामक युनानी लेखक ने अपने महाकाव्य “मेटामोरफॉसिस” के भाग-3 में एक कहानी का जिक्र किया है, जिसमें नदियों के देवता सेफिसस और अप्सरा लिरियोपे का एक पुत्र था जिसका नाम था ‘नार्सिसस’ जो देखने में असाधारण और कयामत का सुंदर था। नार्सिसस के माता पिता ने टायरेसियस नामक भविष्यवक्ता को बुलाकर नार्सिसस के भविष्य के बारे में पूछा। उस समय के प्रसिद्ध भविष्यवक्ता टायरेसियस ने उसके माता-पिता को कहा कि, आपका पुत्र तबतक जी पाएगा “जबतक वह खुद को देख ना ले।”

नार्सिसस जबान होकर और भी सुंदर हो गया, वह इतना सुंदर था कि, कोई भी उसे देखकर बिना मोहित हुए नही रह पाता। यहाँ तक कि उसके रूप का दीवाना लड़कियाँ ही नही बल्कि लड़के भी हो जाते थे, लेकिन नार्सिसस अपने रूप के घमंड में सबको तिरस्कार कर अपने से दूर कर देता। एक बार एक लड़के ने नारसिसस को देखा और मोहित होकर उसे अपना जीवन साथी बनाने का आग्रह किया। नही तो, बदले में उसने अपनी गर्दन काट देने की बात कही, नार्सिसस ने खुद तलबार लेकर उस लड़के को दिया और कहा की अगर तुम मरना ही चाहते हो तो, लो अपनी गर्दन काट लो, लड़का उसके प्रेम में इतना पागल था की सचमुच में अपनी गर्दन, धर से अलग कर दिया और मरते-मरते श्राप दिया की ईश्वर तुम्हारे घमंड को चकनाचूर करे।

नार्सिसस के समकालीन ही इक्को नाम की एक खूबसूरत अप्सरा थी, वह भी बला की खूबसूरत थी, जिसे जंगल और पहाड़ बहुत पसंद थे, वह खुद को जंगल के लिए समर्पित कर दी थी। वह अप्सराओं की पसंदीदा थी और शिकार के दौरान उनकी सहेलियाँ उसके साथ रहती थी। लेकिन इको में एक कमी थी, उसे मजाक करने का शौक था, बहुत ही ज्यादा चुलबुली, मजाकिया और बातूनी थी। एक दिन इक्को ने यनानी देवता जुपिटर की पत्नी जूनो के साथ मजाक करके उनदोनों के बीच गलतफहमी पैदा कर दी, बाद में इक्को ने माफी माँगी की, यह तो बस एक मजाक था, लेकिन इस मजाक के लिए जूनो ने इक्को को श्राप दे दिया कि, तुम जीवन भर अपनी ओर से कोई भी वाक्य बोल ही नही पाओगी और अगर, कोई तुमसे कोई वाक्य बोलेगा तो तुम केवल उस वाक्य का अंतिम कुछ शब्दों को ही दोहरा पाओगी।

कुछ दिन बीते,…एक दिन, इक्को और उनकी सहेली अप्सराओं ने शिकार करते समय नार्सिसस को देखा। इक्को नार्सिसस को देखते ही पागल दीवानी हो गई और तुरंत उससे प्यार करने लगी, इतना ही नही, नार्सिसस के साथ जीवन बिताने की भी मन बना लिया, इक्को नार्सिसस से बात करने की कोशिश करने लगी, लेकिन जूनो के श्राप के कारण वह कुछ बोल नही पा रही थी, अब वह नार्सिसस के पीछे-पीछे चलने लगी। इक्को उससे अपने प्यार का इज़हार करने के लिए व्याकुल थी, लेकिन यह उसके बस में नहीं था, नार्सिसस को किसी के द्वारा पीछा करने का एहसास हुआ, वह चौकन्ना होकर पीछा करने वाले को इधर-उधर ढूँढने लगा। इक्को बेसब्री से उसके पहले बोलने का इंतज़ार कर रही थी, जबकि इक्को का जवाब पहले से तैयार था।

नार्सिसस अपने साथियों से अलग हो गया और झाड़ियों में किसी की सरसराहट महसूस की और चिल्लाया, “कौन है?” इक्को ने भी दोहराया “कौन है” नार्सिसस ने इधर-उधर देखा, लेकिन कोई न देखकर फिर चिल्लाया, “कौन हो सामने आओ।” इको ने दोहराया, “सामने आओ।” जब कोई नहीं आया, तो नार्सिसस ने फिर धीरे से कहा, “छुपने की क्या जरूरत है, हमें एक दूसरे से मिलना चाहिए” इको ने बड़े ही प्यार से वही दोहराया। “मिलना चाहिए” इक्को को लगा की शायद बात बन गई, नार्सिसस भी मुझसे मिलने को बेकरार है, वह जल्दी से उस जगह पर पहुँची, अपनी बाहें फैलाये नार्सिसस को गले लगाने के लिए दौड़ पड़ी। नार्सिसस चिल्लाते हुए पीछे हट गया और कहा ! मैं मरना पसंद करूँगा बजाय इसके कि तुम मुझे छुओ!” इक्को ने फिर दोहराया “तुम मुझे छुओ,” क्योंकि इक्को सिर्फ किसी के वाक्य को ही दोहरा सकती थी अपनी ओर से कुछ बोल नही सकती थी। अतः उसका जबाब था “तुम मुझे छुओ” अपने इस बात से इक्को को खुद से इतनी शर्मिंदगी हुई कि, वह अपना मुँह छुपाकर रोती हुई अपने सहेलियाँ की पास भाग गई।

इक्को को रोते देख सहेलियों ने रोने का कारण पूछा, इक्को रोते हुए पूरी बात बताई, इक्को की सहेलियाँ फुसफुसाते हुए प्रार्थना की कि, वह आदमी जिसने मेरी सहेली को ऐसा घाव दिया है, वह भी किसी न किसी समय महसूस करे कि प्यार क्या होता है और बदले में उसे कोई स्नेह न मिले ! रिभेंज या प्रतिशोध लेने वाली देवी नेमेसिस ने इक्को और उनकी सहेलियों की प्रार्थना सुनी और उसे स्वीकार कर लिया।

नार्सिसस वहाँ से ज्यों ही आगे निकला, देवी नेमेसिस की कृपा से उसे जोरों की प्यास लग गई। वहाँ पास में एक साफ झरना गिर रहा था, नीचे तालाब में चाँदी जैसा पानी था, जिसके चारों ओर ताज़ी घास उगी हुई थी, तालाब गहरा था जिस कारण नार्सिसस को पानी पीने के लिए लेटना पड़ गया और पानी में ज्यों हीं उसने अपनी छवि देखी, वह उस छवि का दीवाना हो गया, जो उसी का था। उसने सोचा कि यह जल में रहने वाली कोई सुंदर जल-आत्मा है। वह उन चमकदार आँखों, बैकस या अपोलो के बालों की तरह घुंघराले बालों वाले चेहरे, गोल-मटोल गाल, खुले होंठ और स्वस्थ्य शरीर की चमक को प्रशंसा से देखता रहा। नार्सिसस उसे छूने की कोशिश की तो पानी में उसकी छवि बिखड़ गई, उसने कहा तुम कौन हो? उधर से कोई जबाब नही आया, उनने कहा मैं तुम्हें अपना जीवन साथी बनाना चाहता हूँ, उधर से फिर भी कोई जबाब नही आया, अपने छवि को अपनी बाहों में लेने का प्रयास किया तो वह गायब हो गया, पानी स्थिर होने के बाद फिर से नार्सिसस को अपना चेहरा दिखने लगा, लेकिन उसे कहाँ पता था की यह छवि उसी की है जिसपर वह आत्ममुग्ध हो गया है।

वह हार कर वहाँ से चला गया और फिर दूसरे दिन आया, अब उसकी भूख और प्यास चली गयी थी, हमेसा उस छवि के बारे में ही सोचने लगा। उसने छवि रूपी आत्मा से बात की “क्यों, सुंदर प्राणी, तुम मुझे अनदेखा क्यों कर रहे हो? निश्चित रूप से मेरा चेहरा तुम्हारे घृणा करने लायक नहीं है। अप्सराएँ मुझ पर मरती हैं और मैं तुम्हारे लिए बेचैन हूँ, तुम खुद भी मुझे उदासीन नहीं दिखते। जब भी मैं अपनी बाहें फैलाता हूँ तो तुम भी वैसा ही करते हो और तुम भी मुझे देखकर मुस्कुराते हो, लेकिन मेरी करुन पुकार का जवाब क्यों नही देते हो? विरह की पीड़ा में नार्सिसस के आँसू बर्बस ही छलक कर पानी में गिर गए और छवि विचलित हो गई। जैसे ही उसने उसे जाते देखा, उसने कहा, “रुको, मैं तुमसे विनती करता हूँ ! मैं तुम्हें छूता हूँ तो, तुम गायब हो जाते हो, मुझे कम से कम तुम्हें देखने दो, इस तरह से विरह और अलाप में समय बीतते रहे, नार्सिसस भूखे प्यासे बिना सोये पानी के पास रुका रहा, रोज पानी से बिनती करता रहा। कुछ ही दिनों में नार्सिसस ने अपना रंग, अपनी ऊर्जा, जबानी और वह सुंदरता खो दी जिसने पहले अप्सरा इक्को को इतना मोहित किया था। उसकी शक्ति कम हो गई और अंततः वह पानी के तालाब के किनारे ही मर गया।

यहीं से शब्द निकल कर आया “आत्ममुग्ध” और आत्ममुग्धता जिसकी अंग्रेजों होती है, NARCISIST जो इस कहानी में नायक NARCISUS के नाम से लिया गया है। बाद में इस राह पर चलने वाले को NARCISISM कहा जाने लगा। हमारे समाज में कई तरह के आत्ममुग्ध लोग बसते हैं कोई, रूप से आत्ममुग्ध होता है, कोई धन से, कोई पैसे से तो कोई भक्ति से, तो कोई, बल से।

इस कहानी की नायिका इक्को से ही ECHO शब्द या ECHOISM बना, जिसका मतलब होता है कमजोर, अनुसरण करना या दोहराना, जब भी आप किसी सांस्कृतिक कार्यक्रम में लाउडस्पीकर की अबाज सुनते हैं तो उसमें ECHO का उपयोग होता है जो आबाज की अंतिम कुछ शब्दों को दोहराता है।

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