अरुणाचल प्रदेश में चीनी सेना की घुसपैठ की खबरों पर केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने सोमवार को कहा कि जो इलाके तय नहीं हैं वहां सिर्फ निशान बना देने का मतलब यह नहीं कि उन्होंने हमारी जमीन पर कब्जा कर लिया है। अरुणाचल प्रदेश से आने वाले रिजिजू ने कहा कि भारत-चीन बॉर्डर से लगे अनिर्धारित इलाकों में भारतीय और चीनी सेनाएं गश्ती के दौरान कई बार एक-दूसरे से टकरा सकती हैं, लेकिन इससे भारतीय जमीन पर अतिक्रमण नहीं होता है। पिछले हफ्ते अरुणाचल में चीनी अतिक्रमण की खबरें आई थीं
रिजिजू का यह बयान ऐसे समय में आया है जब कई रिपोर्ट में दावा किया गया है कि पिछले हफ्ते चीनी सेना अरुणाचल प्रदेश के अंजाव जिले में घुस आई है और यहां के कपापू इलाके में कैंप लगाकर रुकी हुई है। इन रिपोर्ट्स में ये भी कहा गया था इस इलाके से अलाव, पत्थरों पर पेंटिंग और चाइनीज फूड मटेरियल की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं। रिजिजू ने PTI से कहा कि चीन हमारी जमीन नहीं ले सकता है। अनिर्धारित क्षेत्रों में दोनों देशों की सेनाएं कई बार एक-साथ गश्त लगाने आ जाती हैं। हालांकि उन्हें कोई स्थायी निर्माण करने की अनुमति नहीं है। हमारी ओर से कड़ी निगरानी होती है। केवल अनिर्धारित स्थानों पर निशान बना देने का मतलब यह नहीं है कि उस क्षेत्र पर कब्जा हो गया है। रिजिजू ने कहा कि भारत सीमा पर इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार कर रहा है और यह जारी रहेगा। लेकिन हम किसी को भी लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) के पास आने नहीं देंगे। 2020 से लद्दाख में चीनी-भारतीय सेना में तनातनी
यह घटना ऐसे समय में हुई है जब भारतीय और चीनी सेना के बीच लद्दाख में तनातनी है। यह तनाव अप्रैल 2020 से जारी है। भारत और चीन के बीच लद्दाख से अरुणाचल प्रदेश तक 3,400 किलोमीटर लंबी सीमा (LAC) है। चीन लगातार दावा करता रहा है कि अरुणाचल प्रदेश हमेशा से उसका हिस्सा रहा है। इस दावे को भारत बेतुका और हास्यास्पद करार दे चुका है। चीन अरुणाचल प्रदेश को दक्षिणी तिब्बत मानता है और यहां भारतीय नेताओं के दौरे पर आपत्ति जताता रहता है। चीन ने इस इलाके को जंगनान नाम दिया है। भारत उसके इस दावे को हमेशा से खारिज करता आया है। भारत अरुणाचल को अपना अभिन्न अंग बताया है। केंद्र सरकार ने अरुणाचल प्रदेश को बनावटी नाम देने के चीन के कदम को यह कहकर नकारती है कि ऐसा करने से सच्चाई नहीं बदल जाएगी। मार्च में चीन ने अरुणाचल को अपना हिस्सा बताया था
मार्च 2024 में चीन ने फिर से अरुणाचल प्रदेश को अपना हिस्सा बताया था। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने कहा था- 1987 में भारत ने चीनी जमीन पर अवैध तरह से अरुणाचल प्रदेश बसाया। हमने तब भी इसका विरोध किया था और आज भी हम अपने बयान पर कायम हैं। जियान ने कहा- चीन और भारत की सीमा का कभी सीमांकन नहीं किया गया। ये पूर्वी सेक्टर, पश्चिमी सेक्टर और सिक्किम सेक्टर में बंटी हुई है। पूर्वी सेक्टर में जांगनान (अरुणाचल प्रदेश) हमारा हिस्सा है। भारत के कब्जे से पहले चीन ने हमेशा प्रभावी ढंग से यहां पर शासन किया है। यह मूल तथ्य है जिससे इनकार नहीं किया जा सकता। इसी के साथ मार्च में यह चौथी बार था जब चीन ने अरुणाचल को अपना क्षेत्र बताया था। दरअसल, 23 मार्च को विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सिंगापुर में एक कार्यक्रम के दौरान कहा था- चीन ने लगातार अरुणाचल पर अपना दावा किया है। ये दावे शुरू से ही बेतुके थे और आज भी बेतुके ही हैं। चीन सीमा समझौतों को नहीं मानता है। पूरी खबर यहां पढ़ें… चीन ने अरुणाचल प्रदेश की 30 जगहों के नाम बदले थे
इसी साल अप्रैल में चीन ने अरुणाचल प्रदेश को अपना हिस्सा बताकर वहां की 30 जगहों के नाम बदले थे। इनमें से 11 रिहायशी इलाके, 12 पर्वत, 4 नदियां, एक तालाब और एक पहाड़ों से निकलने वाला रास्ता है। हालांकि, इन जगहों के नाम क्या रखे गए हैं, इस बारे में जानकारी नहीं दी गई। इन नामों को चीनी, तिब्बती और रोमन में जारी किया। पिछले 7 साल में ऐसा चौथी बार हुआ है जब चीन ने अरुणाचल की जगहों का नाम बदला हो। चीन ने अप्रैल 2023 में अपने नक्शे में अरुणाचल प्रदेश की 11 जगहों के नाम बदल दिए थे। चीन ने पिछले 5 साल में तीसरी बार ऐसा किया था। इसके पहले 2021 में चीन ने 15 जगहों और 2017 में 6 जगहों के नाम बदले थे। पूरी खबर पढ़ें… ये खबर भी पढ़ें… चीनी दावे पर अमेरिका बोला- अरुणाचल भारत का हिस्सा:चीन ने यहां सेला टनल का विरोध किया था, इसे अपना इलाका बताया अमेरिका ने अरुणाचल प्रदेश पर चीनी बयानों के खिलाफ भारत का समर्थन किया है। अमेरिकी विदेश विभाग के डिप्टी स्पोक्सपर्सन ने कहा कि अरुणाचल भारत का हिस्सा है और वो वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के पार चीन के किसी भी इलाके पर दावे का विरोध करते हैं। अमेरिका ने यह बात चीन के अरुणाचल पर दावे वाले बयान के बाद कही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 9-10 मार्च को अरुणाचल का दौरा किया था। उन्होंने यहां 13 हजार फीट की ऊंचाई पर बनी सेला टनल का इनॉगरेशन किया था। चीन ने 11 मार्च को इसका विरोध करते हुए अरुणाचल को अपना हिस्सा बताया था। पूरी खबर यहां पढ़ें…
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