दिवाली की तरह इस बार धनतरेस की तिथि को लेकर भी कंफ्यूजन है। पांच दिनों का दिवाली महोत्सव धनतेरस से ही शुरू होता है। हिंदू पंचाग के अनुसार कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 29 अक्टूबर मंगलवार सुबह 11 बजे से हो रही है। त्रयोदशी तिथि का समापन 30 अक्टूबर बुधवार को दोपहर एक बजकर पांच मिनट पर होगा। ऐसे में प्रदोष काल में धनतेरस तिथि 29 अक्टूबर को मिल रही है और उदया तिथि 30 अक्टूबर को मिल रही है। उदया तिथि को मानने वाले 30 को मना रहे हैं। बनारस पंचांग के अनुसार 29 को धनतेरस का पर्व मनाया जाएगा और 31 को दिवाली का पर्व मनाया जाएगा। बनारस पंचांग के अनुसार नरक चतुर्दशी और हनुमान जयंती 30 अक्टूबर बुधवार को मनाई जाएगी। धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि, लक्ष्मी जी और कुबरे जी की पूजा की जाती है।
धनतरेस में किसकी होती है पूजा
धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि, मां लक्ष्मी और कुबरे जी की पूजा की जाती है। शाम को शुभ मुहूर्त में पूजा करना श्रेष्ठ होता है। इस दिन लोग अपने घरों में , अपने बिजनेस की जगह, दुकान, फैक्टरी में भी लक्ष्मी जी की पूजा करते हैं। इस दिन खरीददारी करना भी शुभ माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन जो भी कुछ खरीदा जाता है, उसमें बहुत वृद्धि होती है। घर में भगवान धन्वंतरि, कुबेरजी और लक्ष्मी-गणेश की प्रतिमा स्थापित कर घी का दीपक जलाकर पूजा शुरू करें। इस दिन लक्ष्मी जी को प्रसन्न करने के लिए श्रीसूक्त, कनकधारा, अन्नपूर्णा स्तोत्र, विष्णु सहस्रनाम का पाठ करना चाहिए। इस दिन घर में श्रीयंत्र स्थापित कर सकते हैं।
क्या लगाएं भोग
इस दिन मां लक्ष्मी को नैवेद्यम, खीर का भोग लगाना चाहिए और भगवान कुबेर को सफेद मिष्ठान्न का भोग लगाएं। धन्वंतरि जी को पीले रंग के मिष्ठान्न का भोग लगाएं।