गया : बिहार के तीन गांव चारों ओर से झारखंड से घिरा हुआ है. जी हां, गया जिले के इमामगंज प्रखंड क्षेत्र के पथरा, केवलडीह और हेरंज गांव जो सलैया पंचायत के अंतर्गत आता है चारों ओर से झारखंड से घिरा हुआ है. झारखंड के अलावा यह तीनों गांव नदियों से भी घिरे हुए हैं जिस कारण आसपास के लोग इस गांव को मिनी श्रीलंका कहते हैं. यह तीनों गांव तीन जिला के बोर्डर पर स्थित है जिसमें बिहार का गया जिला, और झारखंड का चतरा तथा पलामू जिला है. चारों ओर से नदियों से घिरे होने के कारण यह गांव टापू बना हुआ है.
साल के 6 से 8 महीना यहां के लोगों को काफी परेशानी रहती है मोरहर नदी पर कोई पुल नहीं है जिस कारण लोगों की समस्या और बढ़ जाती है. खासकर वैसे महिलाएं जो गर्भवती हैं, बुजुर्ग हैं तथा बच्चों को ज्यादा परेशानी होती है. कहने को तो देश 75 साल पहले आजाद हो चुका है लेकिन बिहार का यह तीन गांव आज भी नदियों को गुलामी के जंजीर से जकड़ा हुआ है. तीनों गांव मिलाकर 10000 से अधिक की आबादी है लेकिन गांव में एक पोलिंग बूथ तक नहीं है. यहां के लोग वोट भी करते हैं और वोट देने के लिए 12 किलोमीटर दूर सलैया गांव जाते हैं.
यहां तक की गांव के लोगों को राशन लेने के लिए भी 6 किलोमीटर दूर जाना पड़ता है. इमामगंज विधानसभा क्षेत्र में कई विधायक बने लेकिन किसी ने भी यहां के लोगों की समस्या का समाधान नहीं किया. अभी इमामगंज विधानसभा क्षेत्र में उपचुनाव भी हो रहा है और 13 नवंबर को मतदान होना है. ऐसे में तीनों गांव के लोगों ने एक मीटिंग रखकर इस उप चुनाव में वोट बहिष्कार का निर्णय लिया है. मीटिंग में तीनों गांव के लोगों के अलावे सलैया पंचायत के मुखिया, समिति, सरपंच समेत कई जनप्रतिनिधि भी शामिल थे उन्होंने भी इनके मांग का समर्थन किया है.
पुल नहीं तो वोट नहीं
गांव के लोगों ने लोकल 18 को बताया कि हर वर्ष जनप्रतिनिधि बहला फुसलाकर वोट तो ले लेते हैं लेकिन किसी ने हमारी समस्या का समाधान नहीं किया. हम लोग इस उम्मीद में वोट करते आ रहे हैं की कोई ना कोई हमारे गांव को जोड़ने के लिए सड़क और नदी पर पुल का निर्माण कर देगी. लेकिन सभी लोगों ने हम लोगों को ठगने का काम किया है. इसलिए तीनों गांव के लोगों ने निर्णय लिया है कि इस उपचुनाव के अलावा आने वाले दिनों में जितने भी चुनाव होने होंगे सभी में वोट का बहिष्कार किया जाएगा.
हर साल 2-4 लोगों की डूबने से हो जाती है मौत
ग्रामीणों ने बताया नदी पर पुल नहीं होने के कारण हर साल गांव में दो-चार लोगों की डूब कर या इलाज के अभाव में मौत हो जाती है. अगर कोई बीमार पड़ जाता है तो स्थानीय सरकारी अस्पताल की दूरी 30 किलोमीटर है जो कि प्रखंड मुख्यालय इमामगंज में स्थित है. हम लोग झोलाछाप डॉक्टर को ही भगवान का रूप मानते हैं और उन्हीं के भरोसे हम लोगों की जिंदगी कट रही है. पिछले चुनाव में भी यहां के विधायक रहे जीतन राम मांझी ने नदी पर पुल बनाने का दावा किया था लेकिन यह वादा आज भी अधूरा है. यहां नदी पर पुल के अलावा सड़क, पोलिंग बूथ और राशन वितरण प्रणाली की भी समस्या है.
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FIRST PUBLISHED : October 28, 2024, 10:20 IST